कृति सिंह, देहरादून। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 18 मार्च, 2017 को प्रचंड बहुमत के साथ कार्यभार संभाला तो सरकार और सत्तारूढ़ दल पर जन अपेक्षाओं का भार होना लाजिमी था। इस बात को उन्होंने समझा और एक के बाद एक कई ऐसे क्रांतिकारी फैसले लिए जो उनकी दूरदर्शी सोच और साफ नीयत का परिचायक है। हालांकि, त्रिवेंद्र सिंह रावत अब पूर्व मुख्यमंत्री हो गए हैं। लेकिन अब यदि पीछे मुड़कर देखें तो लगता है उनके द्वारा लिए गए फैसले उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय से कम नहीं हैं। भले ही मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें बड़ी ही आसानी से नकार दिया हो, लेकिन आम जनता के मानस पटल पर सरल व्यवहार, सशक्त नेतृत्व और विकास कार्यों का जो रिपोर्ट कार्ड वो छोड़ गए हैं, उसे नकारा नहीं जा सकता।
लोगों के जेहन में हमेशा याद रहेंगे त्रिवेंद्र द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसले
कोई भी सरकार आए जाए लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसले लोगों के जेहन में हमेशा हमेशा के लिए याद रहेंगे। लगभग अपने 4 साल के कार्यकाल में उन्होंने बिना भय के प्रदेश हित में कई फैसले लिए जिससे न केवल उनके विरोधी बल्कि भाजपा के अंदर पैठ जमाए त्रिवेंद्र के विरोधी भी घबरा गए थे। नतीजा यह हुआ कि त्रिवेंद्र को कुर्सी से हटना पड़ा। राजनीतिक पार्टियों या फिर त्रिवेंद्र विरोधियों के लिए भले ही यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम लग रहा हो लेकिन लंबे समय तक त्रिवेंद्र विरोधी इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे क्योंकि जनता समझ रही है। इसलिए ये चीजें राजनीति में टिकाऊ नहीं होती हैं। मौसम की तरह राजनीति करवट लेती रहती है।
त्रिवेंद्र ने बिना संकोच और विरोध की परवाह किए प्रदेश के लिए कई ऐतिहासिक फैसले लिए और उस पर अडिग भी रहे। महत्वपूर्ण फैसलों में जनभावनाओं के अनुरूप गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाकर त्रिवेंद्र ने सबको चौंका दिया था। जिसे राज्य आंदोलनकारियों ने भी सराहा। गाहे-बगाहे इसकी चर्चा उत्तराखंड में होती रहेगी। यह ऐसा महत्वपूर्ण निर्णय था जिसकी मांग राज्य गठन के समय से ही होती रही है। कई सरकारें आईं और गईं लेकिन किसी ने भी उत्तराखंड के लोगों की भावनाओं का आदर नहीं किया। मजेदार बात यह है कि कांग्रेस से भाजपा में आए बड़बोले मंत्रियों को भी उन्होंने अनुशासन का पाठ पढ़ाया। इस श्रेणी के मंत्री हमेशा अपनी हद में ही रहे। यह बात पूरा प्रदेश ही जानता है। बड़ी बात यह है कि त्रिवेंद्र के दामन में मुख्यमंत्री रहते हुए कोई दाग नहीं लगा है। यह भी त्रिवेंद्र की उपलब्धियों में ही शुमार है। राजनीति विश्लेषक भी त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति और विकास कार्यों को स्वीकार कर रहे हैं। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री के विरोधी भाजपा हाईकमान को दूसरे नजरिए से समझा रहे हैं।
गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा दिलाने के बाद 4 मार्च 2021 को भराड़ीसैंण विधानसभा सत्र में गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने कर ऐलान भी त्रिवेंद्र ने ही किया। इससे किसको फायदा मिलेगा और किसको नहीं, यह तो निश्चित रूप से समझने की जरूरत है। वहीं, चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों को हर तरह की सुविधाएं मिलें और यात्रा को सुगम बनाया जा सके। इसके लिए उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड का गठन भी किया। हालांकि, इसका विरोध भी किया गया और यह प्रकरण हाईकोर्ट में गया लेकिन देवस्थानम बोर्ड को लेकर फैसला त्रिवेंद्र सरकार के पक्ष में ही आया। क्योंकि त्रिवेंद्र जानते थे कि राज्य की मजबूत आर्थिकी का आधार पर्यटन और तीर्थाटन ही बनेंगे। उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार की सबसे बड़ी सफलता यह रही कि यहां कनेक्टिविटी के क्षेत्र में नई क्रांति देखने को मिली।
12 हजार करोड़ की चारधाम सड़क परियोजना के तहत 900 किमी विश्वस्तरीय सड़कों का निर्माण कार्य जारी है। भारतमाला परियोजना के तहत 13 हजार करोड़ की लागत से 570 किमी से अधिक राष्ट्रीय राजमार्ग पर युद्धस्तर पर काम हो रहे हैं। बीते 4 साल में लोक निर्माण विभाग ने 2522 किमी नई सड़कें और 2699 किमी सड़कों का पुनर्निर्माण किया है। वहीं, 250 से ज्यादा पुलों का निर्माण किया गया। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 6409 किमी से ज्यादा सड़कें बनाई गईं जिससे 657 बसावटों को जोड़ा गया। इसके अलावा 14 साल से लंबित डोबरा-चांठी मोटर झूला पुल का कार्य पूरा किया गया। अब डाटकाली टू-लेन मोटर टनल बनने से दिल्ली-देहरादून हाईवे पर डाटकाली मंदिर के पास अक्सर होने वाले लंबे जाम से लोगों को मुक्ति मिल चुकी है।
आज उत्तराखंड राज्य अपने पड़ोसी राज्यों से अच्छी सड़कों के माध्यम से जुड़ चुका है। सड़क कनेक्टिविटी बेहतर होने के कारण जहां पर्यटन और तीर्थाटन के लिए लोगों की आमद बढ़ी है, वहीं आम लोगों की जिंदगी भी आसान हुई है। चारधाम यात्रा सुगम बनाने के लिए सामरिक महत्व के ऑल वेदर रोड का काम काफी हद तक पूरा हो चुका है। साथ ही, चारधाम रेल परियोजना का सर्वे और विस्तार का काम जारी है। इस तरह कहा जाए तो लंबे समय से पहाड़ पर रेल चढ़ाने की योजना को भी त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल के दौरान ही मूर्त रूप देने के प्रयास हुए। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना को 2024-25 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। न्यू ऋषिकेश रेलवे स्टेशन बनकर तैयार हो चुका है। कोटद्वार से दिल्ली के लिए सिद्धबली जनशताब्दी एक्सप्रेस का संचालन भी शुरू हो गया है।
फरवरी के अंतिम सप्ताह में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेष के विकास कार्यों को गति देने के लिए दिल्ली में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मुलाकात की। इस दौरान सूचना प्रसारण मंत्री ने इंटरनेट कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए भारत नेट 2.0 स्कीम की मंजूरी दी जिसका लाभ सीधे तौर पर 12 हजार गावों को होगा। वहीं, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने उड़ान योजना में देहरादून-पिथौरागढ़-हिण्डन मार्ग और सहस्त्रधारा-चिन्यालीसौड़-गौचर मार्ग पर हवाई सेवाएं नियमित करने के लिए दोबारा टेंडर निकालने की बात कही। साथ ही, पंतनगर ग्रीन फील्ड हवाई अड्डे को इंटरनेशनल लेवल का बनाए जाने और पिथौरागढ़ के नैनीसैनी हवाई पट्टी को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को हैंडओवर करने से पहले सर्वे कराने का आश्वासन दिया। उड़ान योजना में हैली सर्विस शुरू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बना गया है। यहां 27 हैलीपैड विकसित किए गए हैं। जौलीग्रांट एयरपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं और ऊधमसिंह नगर में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनाया गया है। इसके साथ ही देहरादून देश के दर्जनों शहरों के अलावा आंतरिक स्तर पर भी जुड़ गया है।
खास बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिन पर भरोसा किया, उन लोगों ने केवल अपना ही हित साधा। इसके पहले भी त्रिवेंद्र के खिलाफ षडयंत्र की कोशिश की गयी है लेकिन अपनों ने साथ ही नहीं दिया। वे केवल अपनी जुगाड़बाजी में ही फंसे रहे। जिसका खमियाजा त्रिवेंद्र सरकार को भुगतना पड़ा।
पूर्व त्रिवेंद्र सरकार ने अपने चार साल के कार्यकाल में महिलाओं को राहत देने समेत स्वरोजगार को लेकर बड़े फैसले लिए हैं। फैसलों के क्रियान्वयन के लिए कई कदम भी उठाए गए। सरकार के 15 फैसलों ने आस भी जगाई है।
1 रुपए में जल का कनेक्शन
उत्तराखंड आज एक रुपये में पेयजल कनेक्शन मुहैया कराने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इसका श्रेय जाता है पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को। उन्होंने ही जल जीवन मिशन के तहत हर घर, नल से जल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना को जमीन पर उतारने के लिए एक रुपये में पेयजल कनेक्शन का लक्ष्य तय किया।
सीएम स्वरोजगार योजना
प्रदेश में महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इसके तहत स्वरोजगार के लिए ऋण सस्ती ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है। कोरोना काल में प्रदेश में आने वाले प्रवासी उत्तराखंडियों को स्वरोजगार के लिए उक्त योजना प्रारंभ की गई। इस योजना के अंतर्गत विनिर्माण में 25 लाख रुपये और सेवा क्षेत्र में 10 लाख रुपये तक की परियोजनाओं पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। एमएसएमई नीति के अनुसार इसमें सब्सिडी की व्यवस्था की गई है।
पैतृक संपत्ति में महिला सहखातेदार
त्रिवेंद्र सरकार ने उत्तराखंड जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम में संशोधन करते हुए महिलाओं को कृषि भूमि में बराबरी का हक देने के बाद उन्हें पैतृक संपत्ति में सह-खातेदार बनाने का ऐतिहासिक फैसला लेकर जता दिया कि सूबे के मुखिया महिलाओं को आर्थिक स्वावलंबी करने की दिशा में किस कदर गंभीर रहे हैं।
सरकार ने प्रदेश में आधी आबादी महिलाओं को पैतृक संपत्ति में सह खातेदार बना दिया। इसके लिए विधानसभा में उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950)(संशोधन) विधेयक को पारित किया गया है। इस फैसले से 35 लाख से ज्यादा महिलाओं को लाभ मिलेगा। इसका मूल मकसद महिलाओं को आर्थिक तौर पर स्वतंत्र और सशक्त बनाना है। इसके पीछे त्रिवेंद्र सिंह रावत की सोच थी कि यदि महिलाएं छोट-मोटा कोई व्यापार करना चाहती भी हैं तो उन्हें बैंक से ऋण देने में कठिनाई आती है। इसीलिए महिलाओं को पति की पैतृक भूमि में सह-खातेदार बनाने की बात सोची गई। इसके मुताबिक, पैतृक संपत्ति जब बेटे के पास आएगी, तो बहू सह-खातेदार हो जाएगी। उसके बाद के कायदे कानून वही हैं कि संपत्ति फिर बच्चों को मिलेगी। इससे महिलाओं को सम्मान मिलेगा और काम करने के लिए आर्थिक स्वतंत्रता भी मिलेगी। संशोधित एक्ट लागू होने के बाद महिलाएं स्वावलंबन, स्वरोजगार और आजीविका के लिए भूमि या संपत्ति पर बैंकों से ऋण ले सकेंगी। उन्हें संपत्ति बेचने का भी अधिकार होगा।
वन नेशन वन कार्ड
प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत सभी राशन कार्डधारक अब प्रदेश या देश के किसी भी हिस्से में सरकारी सस्ता खाद्यान्न ले सकते हैं। उत्तराखंड इस योजना पर अमल करने वाले गिने-चुने राज्यों में शामिल हो चुका है। इस योजना में प्रत्येक राशन कार्ड और उसमें शामिल प्रत्येक यूनिट की आधार सीडिंग की गई है। इस योजना के अगले चरण में राशन की सभी 9225 दुकानों का ऑटोमेशन किया जा रहा है। शेष रह गईं 1809 दुकानों का आटोमेशन अगले माह तक पूरा होगा।
मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना
सरकार ने इस योजना के माध्यम से 3.41 लाख महिलाओं को बड़ी राहत दी है। उन्हें अब घरों पर ही पशुओं के लिए चारा उपलब्ध कराया जाएगा। उन्हें पशु चारे के लिए न तो मीलों पैदल चलना होगा और न ही चारे का बोझ ढोना पड़ेगा। यह योजना किसानों के लिए भी फायदेमंद है। अब असिंचित क्षेत्रों में भी पशु चारे के उत्पादन को ध्यान में रखकर खेती को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। 670 बहुउद्देशीय सहकारी समितियों, 4000 से अधिक राशन की दुकानों, सहकारी संस्थाओं, पशुपालन विभाग के चारा बैंक व अन्य स्थापित सरकारी विपणन केंद्रों के माध्यम से इसे अंजाम दिया जाएगा।
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस
प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस पर खासा जोर दिया। पहली बार स्पेशल आडिट रिपोर्ट में पकड़ में आई वित्तीय अनियमितताओं पर सरकार ने कार्रवाई की। इसके साथ ही, एनएच-74 मुआवजा घोटाला, समाज कल्याण छात्रवृत्ति घोटाला, सिडकुल घोटाला, लोक निर्माण विभाग में सड़क निर्माण कार्यों में गड़बड़ी मामले में अभियंताओं पर कार्रवाई, इसी तरह ऊर्जा निगम में भी निजी कंपनी से बिजली बिल के बकाये की वसूली में लापरवाही पर कई अधिकारियों पर गाज गिराई गई।
इन्वेस्टर्स समिट
प्रदेश को औद्योगिक क्षेत्र में केंद्र से मिली रियायतें खत्म होने के बाद नए उद्योगों के आने का रास्ता तकरीबन बंद ही रहा है। त्रिवेंद्र सरकार ने दो दिन इन्वेस्टर्स समिट कर नए उद्यमों को आने की राह खोली। पहली बार बड़ी संख्या में उद्योगों ने उत्तराखंड में आने में रुचि दिखाई। एक दर्जन से ज्यादा उद्यमों के सैकड़ों करोड़ों के पूंजी निवेश के प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया जा चुका है, जबकि कई प्रस्तावों पर कार्यवाही चल रही है। इसमें 10 हजार से ज्यादा व्यक्तियों को रोजगार मिलने का अनुमान है।
ट्रांसफर एक्ट
त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने सत्ता संभालने के पहले साल के भीतर ही ट्रांसफर एक्ट लागू कर दिया। इस एक्ट में सरकारी नौकरी में पहली नियुक्ति और पदोन्नति पर दुर्गम स्थानों पर अनिवार्य तैनाती की व्यवस्था को बाध्यकारी बनाया गया है। एक्ट लागू होने के बाद प्रदेश में स्थानांतरण उद्योग पर रोक लगाने में काफी हद तक कामयाबी मिली। तबादलों को लेकर सरकार ने अपना सख्त रुख जारी रखा। अनिवार्य तबादलों की वजह से दुर्गम में तैनात कार्मिकों के सुगम क्षेत्रों में आने का रास्ता साफ हुआ।
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना
13 डिस्ट्रिक्ट-13 डेस्टीनेशन के तहत नए पर्यटन केंद्रों का विकास किया गया। माउंटेनियरिंग, रिवर राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कैंपिंग, पैराग्लाइडिंग, माउंटेन बाइकिंग आदि गतिविधियों को बढ़ाकर एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में कई कदम उठाए गए। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण पर्यटन को विकसित करने के लिए होम स्टे योजना को बढ़ावा देकर पर्यटन विकास की अवधारणा के तहत कार्य किए गए। त्रिवेंद्र सरकार के प्रयासों का ही नतीजा रहा कि बीते 4 साल में उत्तराखंड फिल्म शूटिंग का नया डेस्टिनेशन बन गया है। इसी का नतीजा रहा कि यहां 250 से अधिक फिल्मों और टीवी सीरियलों की शूटिंग हो चुकी है। देहरादून से मसूरी, कद्दूखाल से सुरकंडा देवी, तुलीगाड से पूर्णागिरी, गौरीकुंड से केदारनाथ और घाघरिया से हेमकुंड रोपवे प्रोजेक्ट पर कार्य गतिमान है।
बहुउद्देश्यीय झील परियोजनाएं
देहरादून जिले में बनी सूर्यधार बहुउद्देश्यीय झील लोगों को पेयजल, सिंचाई के अतिरिक्त पर्यटन और रोजगार से भी जोड़ रही है। इसी प्रकार अल्मोड़ा के गगास नदी पर जलाशय, पौड़ी में ल्वाली परियोजना, हल्द्वानी में जमरानी बांध परियोजना और ऊधमसिंह नगर जिले में हरिपुर और तुमरिया जलाशय पर सोलर प्लांट लगाने जैसी बहुउद्देश्यीय झील परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहे हैं।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना
राज्य के बेरोजगार युवाओं और प्रवासी मजदूरों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए उत्तराखंड मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना 2021 शुरू की गयी है। इस योजना से जुड़ कर राज्य के बेरोजगार युवा, कृषक और प्रवासी व्यक्ति अपनी निजी भूमि अथवा लीज पर भूमि लेकर सोलर पावर प्लांट की स्थापना कर सकते हैं। इसके तहत राज्य के 10 हजार बेरोजगार व्यक्तियों को स्वरोजगार प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत सरकार द्वारा 25 किलोवाट क्षमता के ही सोलर पावर प्लांट अनुमन्य किये जाएंगे। योग्य व्यक्ति अपनी खुद की भूमि या लीज पर भूमि लेकर सोलर पावर प्लान्ट की स्थापना कर सकता है।
अटल उत्कृष्ट विद्यालय
प्रदेश में सरकारी माध्यमिक विद्यालयों की दशा सुधारने और उन्हें पब्लिक स्कूलों की टक्कर का बनाने के लिए हर ब्लाक में दो-दो अटल उत्कृष्ट विद्यालय जाने की योजना बनाई गई। इन्हें पहले से मौजूद राजकीय इंटर कालेज भवनों में संचालित किए जाने की योजना पर काम जारी थे। इसके तहत 190 विद्यालयों में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिलेगी। इन विद्यालयों को सीबीएसई की मान्यता दिलाई जा रही है। इस योजना को माध्यमिक शिक्षा के लिए बड़े गेमचेंजर के रूप में देखा जा रहा था।
स्कूलों में 500 स्मार्ट क्लासेज
प्रदेश में वर्ष 2005 से लंबित सूचना संचार प्रौद्योगिकी योजना को अमलीजामा पहनाने में त्रिवेंद्र सरकार कामयाब रही है। इस योजना के तहत 500 राजकीय इंटर कालेजों में स्मार्ट क्लासेज प्रारंभ की गई हैं। केंद्रीयकृत वर्चुअल स्टूडियो राजीव गांधी नवोदय विद्यालय देहरादून में की गई है। कोरोना काल में इस वर्चुअल स्टूडियो ने सरकारी स्कूलों के बच्चों की आनलाइन के साथ ही दूरदर्शन के माध्यम से पढ़ाई में बड़ी भूमिका निभाई। अब 600 और स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज प्रारंभ की जाएगी।
नए नगर निकायों का गठन
प्रदेश में तेजी से विकसित हो रहे अर्द्धशहरी क्षेत्रों को शहरी क्षेत्रों में शामिल करने में बड़ी तेजी से काम हुआ है। चार साल के कार्यकाल में नए दो नगर निगमों के गठन के साथ ही तकरीबन सात नगर निकाय बनाए गए हैं। एक दर्जन से ज्यादा शहरी निकाय क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल किया गया। शहरी क्षेत्रों का विस्तार होने से उनमें पेयजल, स्वच्छता, विद्युतीकरण, सड़कों, सीवरेज समेत शहरी सुविधाओं का विस्तार का रास्ता साफ हुआ।