SP President Akhilesh Yadav सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार की किसानों के प्रति हठधर्मिता के चलते अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी किसान आंदोलन की गूंज होने लगी है। श्री यादव ने कहा कि कई देशों के समाजसेवियों ने भारत के किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। किसान निर्भीकता के साथ आंदोलनरत है। इससे जाहिर है कि भारत का किसान आंदोलन अंतर्राष्ट्रीय बनता जा रहा है। उन्होने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे हो गए हैं। तीन महीने से ज्यादा वक्त में तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर डटे किसान टस से मस नहीं हुए हैं। इस आंदोलन में 250 किसानों की मौत हो गई है। पूरे देश में किसानों में गुस्सा हैं। किसानों को एमएसपी नहीं मिल रही है। हालत यह है कि गेहूं की एमएसपी 1975 रूपये प्रति कुंतल हैं। इस हिसाब से तो किसान की लागत भी नहीं निकल रही है। मजबूरन कर्ज लेकर बदहाली में जिंदगी जीने वाला किसान अंतत: आत्महत्या करने को ही मजबूर हो जाता है। उन्होने कहा कि लोकतंत्र में जनता अदालत सर्वोपरि होती है। सरकार का कर्तव्य लोककल्याण करना होता है। जब हजारों किसान कोई मांग उठा रहे हैं तो भाजपा सरकार को उसका समाधान करना चाहिए। लेकिन भाजपा सरकार ने तो किसानों की मनमर्जी के बगैर अपना कानून थोप दिया है। श्री यादव ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने राजधानी में गुड़ महोत्सव का खूब प्रचार किया लेकिन जब गन्ना किसानों का बकाया देने का मौका आया तो सरकार ऊंघने लगी है। गन्ना किसानों को न एमएसपी मिली, नहीं 14 दिन में गन्ने का भुगतान हुआ। बकाये पर ब्याज का तो सवाल ही नहीं। किसान की आय दुगनी होने का दूर-दूर तक सम्भावना नहीं। सच तो यह है कि किसान की जो आमदनी थी, भाजपा सरकार में वह भी खत्म हो गई। भाजपा कम्पनी शासन थोपना चाहती है, इसी तरह ईस्ट इण्डिया कम्पनी के जरिए अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाया था। इसका जवाब जनता सन् 2022 में देगी।