प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि और किसान कल्याण से संबंधित बजट प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन के बारे में आयोजित सेमिनार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ने से किसानों का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। अब किसानों को ऐसे विकल्प देने होंगे जिनमें वे केवल गेहूं और चावल उगाने तक ही सीमित न रहें। आर्गेनिक खाद्य से लेकर सलाद से संबंधित सब्जियों को उगाने का प्रयास कर सकते हैं। इस प्रकार की कईं फसले हैं जिन्हें उगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सीवीड (समुद्री शैवाल) और बीज्वैक्स (मधुमोम) के लिए बाजार तलाशने की जरूरत है। इस वेबिनार में कृषि, डेयरी, मत्स्य पालन क्षेत्र के विशेषज्ञों, सार्वजनिक, निजी और सहकारी क्षेत्र के हितधारकों तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को वित्तपोषित करने वाले बैंकों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कृषि मंत्री भी इस वेबिनार में शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने छोटे किसानों को केन्द्र में रखते हुए सरकार के विजन को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इन छोटे किसानों के सशक्तिकरण से भारतीय कृषि को अनेक समस्याओं से छुटकारा दिलाने में बहुत मदद मिलेगी। उन्होंने इस केन्द्रीय बजट में कृषि के लिए कुछ प्रावधानों के बारे में प्रकाश डाला। इन प्रावधानों में पशु-पालन, डेयरी और मत्स्य पालन क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए कृषि ऋण लक्ष्य बढ़ाकर 16,50,000 करोड़ रुपये करना, ग्रामीण बुनियादी ढांचा निधि बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये करना, सूक्ष्म सिचाई के लिए आवंटन दोगुना करना, आपरेशन ग्रीन स्कीम का दायरा 22 जल्दी खराब होने वाले उत्पादों तक बढ़ाना और ई-नाम के साथ 1,000 और मंडियों को जोड़ना शामिल हैं। उन्होंने लगातार बढ़ते जा रहे कृषि उत्पादन के बीच 21वीं सदी में पोस्ट हार्वेस्ट क्रांति या खाद्य प्रसंस्करण क्रांति और मूल्य संवर्धन से संबंधित देश की जरूरत पर जोर दिया। श्री मोदी ने खाद्यान्नों, सब्जियों, फलों और मछली पालन जैसे कृषि से संबंधित प्रत्येक क्षेत्र में प्रसंस्करण विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया। इसके लिए यह महत्वपूर्ण है कि किसानों को अपने गांव के पास ही भंडारण सुविधाएं उपलब्ध हों। उन्होंने देश के किसानों को अपनी उपज बेचने के विकल्पों का विस्तार करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें प्रसंस्कृत खाद्य के लिए देश के कृषि क्षेत्र का वैश्विक बाजार में विस्तार करना है। हमें गांव के पास कृषि उद्योग क्लस्टरों की संख्या बढ़ानी चाहिए ताकि गांव के लोगों को अपने गांव में ही कृषि से संबंधित रोजगार प्राप्त हो सकें।