लद्दाख के बाद अब अरुणाचल तक चीन ने खोल दिए कई मोर्चे
चैनल का दावा, ऊपरी सुबनसिरी जिले में बसाया 101 घरों का गांव
अमरेंद्र कुमार राय
नई दिल्ली: पिछले आठ महीने से भारत और चीन के बीच लद्दाख में घुसे चीनी सैनिकों की वापसी को लेकर वार्ता हो रही है, पर उसका कोई नतीजा देखने में नहीं आ रहा है। भारत लगातार कह रहा है कि उसे यह स्थिति मंजूर नहीं और चीन को पहले वाली स्थिति में जाना होगा, लेकिन चीन टस से मस होने को तैयार नहीं है। इस बीच नई खबर यह आई है कि चीन ने अब अरुणाचल में एक गांव बसा दिया है। मतलब यह कि पहले डोकलाम हुआ, फिर लद्दाख की गलवान घाटी में चीन घुसा और अब अरुणाचल में घुसकर गांव बसा लिया है। कुछ दिन पहले एक और खबर आई थी कि भारतीय जवानों की एक छोटी मुठभेड़ सिक्किम में भी हुई है। वहां चीनी सैनिक सीमा पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहे थे जहां से भारतीय सैनिकों ने उन्हें पीछे खदेड़ा। यानी, कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन ने कई मोर्चे खोल दिये हैं। यह स्थिति चिंताजनक है।
चीन ने अरुणाचल प्रदेश में करीब सवा साल में एक गांव बसा दिया
पिछले दिनों एक टीवी चैनल ने बताया कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में करीब सवा साल में एक गांव बसा दिया है। इस गांव में करीब 101 घर हैं। यह गांव त्सारी चू नदी के तट पर अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले में स्थित है। चैनल ने यह दावा सैटेलाइट से खींची गई तस्वीरों के आधार पर किया है। उसका कहना है कि 26 अगस्त, 2019 को खींची गई तस्वीर में कोई बसावट नहीं दिखाई देती, लेकिन नवंबर 2020 में जब तस्वीरें ली गईं तो उसमें कुछ ढांचे दिखाई देते हैं। इन तस्वीरों के विश्लेषण के आधार पर पता चलता है कि चीन ने वहां करीब 101 घर का एक गांव बसा दिया है। इससे यह भी साफ होता है कि यह गांव अगस्त 2019 से लेकर नवंबर 2020 के बीच बसाया गया। तस्वीरों के विश्लेषण से इस बात की भी पुष्टि होती है कि निर्माण भारतीय सीमा में करीब 4.5 किलोमीटर भीतर घुस कर किए गए हैं। यह लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास का एरिया है।
यह इलाका 1959 से पहले से ही है विवादित
1959 में भारत द्वारा चीन को भेजे गए एक विरोध नोट में कहा गया था कि चीनी सैनिकों ने बिना किसी सूचना के भारत के त्सारी चू नदी घाटी में एक फॉरवर्ड पोस्ट पर गोलीबारी कर दी। तब आठ भारतीय सैनिक किसी तरह बच निकलने में कामयाब हो गए थे। तभी से वह इलाका चीनी सेना के ही कब्जे में है। हालांकि, वहां पर चीन की सिर्फ एक सैनिक पोस्ट थी। दरअसल, भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है, जबकि भारत उसके इस दावे को खारिज करता रहा है। पिछले साल अक्टूबर में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि कुछ समय से भारतीय पक्ष सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी ला रहा है और सैन्य तैनाती को बढ़ा रहा है, जो दोनों पक्षों के बीच तनाव का मूल कारण है। हालांकि, नए चीनी गांव के आसपास के क्षेत्र में भारतीय सड़क या बुनियादी ढांचे के विकास के कोई संकेत नहीं हैं। बावजूद इसके चीन ने आक्रामक रुख दिखाते हुए इस इलाके में गांव बसा दिया है।
पहले से ही थी गड़बड़ी की आशंका
इस बात की आशंका पहले से ही थी कि चीन इस इलाके में गड़बड़ी कर सकता है। नवंबर 2020 में जब सैटेलाइट तस्वीर ली गई थी, तब अरुणाचल प्रदेश से भाजपा सांसद तापिर गाओ ने राज्य में चीनी अतिक्रमण को लेकर लोक सभा को चेताया था और उन्होंने खास तौर पर ऊपरी सुबनसिरी जिले का उल्लेख किया था। तब भाजपा सांसद ने दावा किया था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश की 50 किलो मीटर से भी ज्यादा जमीन पर कब्जा कर रखा है। उन्होंने उसी समय अगाह किया था कि यदि केंद्र सरकार सतर्क न रही तो वहां भी डोकलाम जैसी स्थिति बन सकती है। तब गाओ ने यह मुद्दा शून्य काल के दौरान उठाया था और कहा था कि जब भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री या गृहमंत्री अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर जाते हैं, चीन आपत्ति जताता है। 14 नवंबर 2019 को जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तवांग गए थे, तब भी चीन ने आधिकारिक पत्रकार वार्ता करके विरोध जताया था। उन्होंने कहा था, ‘मैं सदन व मीडिया से आग्रह करता हूं कि वे इसके खिलाफ आवाज उठाएं।’
आपको याद होगा कि सिक्किम के निकट डोकलाम में चीन की तरफ से सड़क बनाए जाने का भारतीय सेना ने विरोध किया था। इसके बाद दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हो गई थीं और 73 दिन बाद 28 अगस्त 2017 को दोनों देशों के बीच आपसी समझौते के बाद तनातनी खत्म हुई थी। चीन ने वहां सड़क निर्माण बंद कर दिया था। तब गाओ ने यह भी कहा था कि चीन भारतीय क्षेत्र में कब्जा करता है, पर किसी मीडिया में कोई खबर नहीं आती। सदन और राजनीतिक दलों के नेताओं की तरफ से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आती।
केंद्र में तो बीजेपी की सरकार है ही, अरुणाचल प्रदेश में भी बीजेपी की सरकार है। यानी डबल इंजन की सरकार। राज्य के विकास और देश की मजबूती के लिए बीजेपी हर राज्य में डबल इंजन की सरकार बनाने की अपील लोगों से करती है। पर सीमावर्ती राज्य अरुणाचल प्रदेश में डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद चीन ने भारतीय सीमा के भीतर गांव बसा दिया। अगर न्यूज चैनल ने इसका खुलासा न किया होता तो सरकार तो इसे जाहिर भी नहीं होने देती। उसका ध्यान तो अपने लाभ और छोटे मुद्दों पर ही रहता है। अभी हाल ही में आपने देखा होगा कि किस तरह से बीजेपी ने अरुणाचल प्रदेश में अपनी ही सहयोगी जनता दल यू के छह विधायकों को तोड़कर अपनी पार्टी में मिला था। लेकिन बीजेपी या उसकी सरकार को चीन की ओर देखने की फुर्सत नहीं है।
चीन के भारतीय सीमा में गांव बसाने के बावजूद सरकार की ओर से इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। विपक्ष ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा है। कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं राहुल गांधी, पी. चिदंबरम और पार्टी के प्रवक्ता सुरजेवाला ने मोदी सरकार से स्थिति स्पष्ट करने और जवाब देने की मांग की है। अखिल अरुणाचल प्रदेश छात्र संघ (एएपीएसयू) ने भी मांग की है कि केंद्र सरकार को चीन के ‘विस्तारवादी’ कदम के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन सरकार की तरफ से विदेश मंत्रालय ने बड़ा ही रटा हुआ जवाब दिया है। यही कि कूटनीतिक स्तर पर इस मुद्दे को चीन के साथ उठाया गया है और भारत ने भी सीमा पर आधारभूत ढांचे का विकास तेज कर दिया है।
जबकि इसके विपरीत चीन ने कहा है कि यह इलाका हमेशा से चीन के कब्जे में रहा है और अपने इलाके में सामान्य गतिविधियां चलती रहती हैं। वह तो पूरे अरुणाचल को ही तिब्बत का हिस्सा मानता है और इसी वजह से अरुणाचल पर दावा भी करता है। यही वजह है कि जब कोई बड़ी राजनीतिक हैसियत अरुणाचल का दौरा करता है तो वह उस पर आपत्ति जताता है। यहां तक कि अरुणाचल का कोई व्यक्ति चीन की यात्रा करता है तो वह उसे भारतीय वीजा देने की बजाय नत्थी वीजा देता है। कुल मिलाकर देखने में यह आ रहा है कि डोकलाम विवाद के बाद चीन ज्यादा तैयारी से आक्रामक मुद्दा में है और हम अपनी शेखी बघारने में ही मस्त हैं। हम इस बात से खुश हैं कि डोकलाम में हमने उसे पीछे हटने पर मजबूर कर दिया, जबकि वह चोट खाए सांप की तरह फुंफकार रहा है और हमारी जमीन हड़प रहा है। डोकलाम के बाद वह लद्दाख की गलवान घाटी में घुस गया और अब अरुणाचल प्रदेश में। सिक्किम की हालिया घटना से पता चलता है कि उसकी नजर वहां घुसने की भी है। और हम हैं कि 56 इंच का सीना लिए कुछ नहीं कर पा रहे।
कम नहीं हो रहा तनाव
भारत-चीन के बीच पिछले साल मई से तनाव जारी है। ईस्टर्न लद्दाख में दोनों देशों के हजारों सैनिक हथियारों के जखीरे के साथ आमने-सामने हैं। लद्दाख की गलवान घाटी में बीते साल 15 जून को भारत-चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। इसके बाद दोनों देशों के रिश्ते सबसे बुरे दौर में पहुंच गए हैं। यहां तक कि गतिरोध सुलझाने के लिए सेना के बीच कोर कमांडर लेवल पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन वार्ता के बाद भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं।