विजयवाड़ा : कोसा के नाम से जाने जाने वाले फाइटर मुर्ग (रूस्टर) के मांस की काफी मांग होती है। इसी मांग को भुनाते हुए फाइटर मुर्गे के मांस की कीमत 5000 से 7000 रुपये तक पहुंच गई है। मकर संक्राति के दौरान होने वाली कॉकफाइट में जो मुर्गा घायल हो जाता है या मर जाता है उसके मांस की बोली लगाई जाती है। इन मुर्गों को साल भर खेल में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए भारी पोषक आहार दिया जाता है।
‘स्पोर्ट’ के उत्साही एक दूसरे के साथ मांस को पाने और मुर्गा के मांस का पाने के लिए आपस में लड़ते हैं। लोगों के बीच इसके लिए बोली लगाई जाती हैं। इन फाइटर मुर्गों का अद्वितीय स्वाद होता है।कॉकफाइट प्रतियोगिता नियमों के मुताबिक, एक लड़ाई जीतने वाले मुर्गे का मालिक ही मृत ‘प्रतियोगी’ मुर्गे का भी मालिक होता है। मालिक मृत मुर्गे को तुरंत नीलाम करता है। जैसे ही एक गेमकॉक मर जाता है, उसके सभी पंखों को हटा दिया जाता है, पक्षी को ग्रील्ड किया जाता है और सबसे अच्छी बोली बनाने वाले को सौंप दिया जाता है।कोसा में वसा नहीं होती। इसके मांस की जबरदस्त मांग को देखते हुए इसे पाने वाले अच्छी कीमत देने के लिए तैयार रहते हैं। वहीं आंध्रा प्रदेश के कुछ इलाकों में एक परंपरा के मुताबिक, संक्रांति के दौरान नवविवाहित दामादों के लिए कोसा करी को गर्व के साथ परोसा जाता है।एक मुर्गा प्रशिक्षक आर वेंकटराजू ने बताया कि काजू, बादाम, अंडे, मटन और बाकी उच्च पोषक वाले आहार कोसा मुर्गे को खिलाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि रोस्टर प्रशिक्षण से गुजरते हैं और अपनी सहनशक्ति को बढ़ाने के लिए अन्य अभ्यास करने के लिए बनाए जाते हैं।उन्होंने कहा कि उनकी मजबूती और लड़ाई कौशल के आधार पर उनकी कीमत ै50,000 औरै 2 लाख के बीच रखी गई है। उन्होंने कहा कि कोसा मांस बहुत टेस्टी होता है, यही कारण है कि कई लोग अधिक कीमत देने को तैयार हैं। इसमें ये भी एक अहम बात है कि कोसा का मांस साल में सिर्फ एक बार मिलता है।कोसा मांस को पसंद करने वाले एक शख्स का कहना है कि उनके जैसे लोगों का एक समूह कृष्णा, पूर्व और पश्चिम गोदावरी जिलों में कोसा मुर्गे के मांस के ताजा मांस को लाया था। उन्होंने कहा कि कोसा से बने व्यंजन का स्वाद चखने वाले लोग इसके लिए तरसते हैं। उन्हें इसकी कीमत की कोई परवाह नहीं होती।
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