नयी दिल्ली: Union Education Minister Dr. Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’ केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ ने कहा है कि हिंदी हमारे लिए सिर्फ एक भाषा नहीं है। डॉ निशंक ने मॉरिशस में मनाए जा रहे विश्व हिंदी दिवस के अवसर मॉरिशस की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। इंटरनेट के युग में हिंदी ने अपनी वैश्विक पहुंच में इजाफा किया है। ईमेल, एसएमएस, ई-कॉमर्स, ई-बुक, इंटरनेट में हिंदी को सहजता से स्वीकार किया जा रहा है। विश्व में हिंदी बाजार की भाषा बन रही है। गूगल, ओरकल, माइक्रोसॉफ्ट और आईबीएम जैसी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हिंदी को बढ़ावा दे रही हैं। यह हिंदी की बढ़ती ताकत को दिखाता है।हिंदी तेजी से तकनीक की भाषा बन रही है। ब्रिटेन, जर्मनी, चीन और अमेरिका जैसे बड़े देशों में हिंदी स्कूल से लेकर कॉलेजों तक में पढ़ाई जाने वाली भाषा बन गई है। विश्व के करीब 115 शिक्षण संस्थानों में हिंदी का अध्ययन-अध्यापन हो रहा है। हमें मिलकर इसे सयुंक्त राष्ट्र संघ में प्रतिष्ठित कराना है। विश्व हिंदी दिवस के उद्देश्य पर डॉ निशक ने कहा, ‘‘10 जनवरी, 1975 को नागपुर में पहला विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य दुनियाभर में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने का है ताकि हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में विश्व भर में जानी जाए। भले ही हम दुनियाभर में 2006 से विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाते हों, लेकिन इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं।’’ उन्होंने वैश्विक पटल पर हिंदी के विकास के लिए मॉरिशस द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा, ‘‘मुझे प्रसन्नता है कि यहां हिंदी का पीढ़ी दर पीढ़ी विकास हो रहा है। विश्व हिंदी सम्मलेन में मॉरिशस की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। मॉरिशस में अब तक चार विश्व हिंदी सम्मलेन हो चुके हैं। इसके लिए हमें हिंदी के प्रचार-प्रसार में मॉरिशस की भूमिका की प्रशंसा करनी चाहिए। पिछला विश्व हिंदी सम्मलेन भी 2018 में मॉरिशस में संपन्न हुआ था। यह सम्मलेन अपने उद्देश्यों में काफी हद तक सफल रहा था।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिंदी को उसका वैश्विक रूप दिलाने के लिए भारत सरकार वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहे भारत हो या भारत से बाहर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर, दुनिया को हिंदी में ही संबोधित करते हैं।