नये प्रभारी के सामने भाजपा की गुटबंदी भारी

  •  पार्टी में गुटबंदी और अनुशासहीनता के मामले कम नहीं हो रहे
  • पिछले दिनों लाखीराम जोशी पर हुई कार्रवाई से भाजपाइयों में दहशत

संवाददाता

देहरादून: भाजपा(BJP) के नये प्रभारी तथा सह प्रभारी के रूप में दुष्यंत कुमार गौतम तथा रेखा वर्मा की ताजपोशी होने वाली है, लेकिन पार्टी में गुटबंदी और अनुशासहीनता पर अंकुश लगाना इन लोगों के लिए चुनौती होगी। पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान सांसद अजय भट्ट के कार्यकाल से ही अनुशासनहीनता का जो दौर चला था वह बराबर जारी है। उस समय विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, देशराज कर्णवाल के बीच जो कुछ हुआ वह बड़ी अनुशासनहीनता का प्रमाण था। उसके बाद तो कई विधायकों ने लगातार आवाज उठाई, जिनमें विधायक और मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, डीडीहाट विधायक बिशन सिंह चुफाल, पूरन सिंह फत्र्याल, राजेश शुक्ला जैसे नाम शामिल है, जिन्होंने समय-समय पर पार्टी की किरकिरी कराई। यह क्रम थमता नजर नहीं आ रहा है। पिछले दिनों वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री लाखीराम जोशी ने भी इसी तरह का कार्य किया, जिस पर पार्टी की ओर से उन्हें नोटिस दिया गया है। इस नोटिस पर लाखीराम जोशी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
इससे पूर्व भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाने पर कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की थी। यह प्रकरण अभी थमा भी नहीं था कि अब पार्टी के एक वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री लाखीराम जोशी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। लाखीराम जोशी ने इस बार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसलों पर उंगली उठाई है। इससे पहले वह तत्कालीन मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी पर भी इसी तरह का आरोप लगा चुके हैं। इस ताजा तरीन मसले में लाखीराम जोशी ने मुख्यमंत्री को हटाने के लिए प्रधानमंत्री को लिखा जो सीधे-सीधे अनुशासनहीनता की कड़ी में आता है।
भाजपा के प्रांतीय नेतृत्व ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए जोशी को पार्टी से निलंबित कर दिया है साथ ही उन्हें कारण बताओ नोटिस भी भेजा है। इस संदर्भ में पूर्व मंत्री लाखीराम जोशी का कहना है कि पार्टी नेतृत्व उन्हें इस तरह निलंबित नहीं कर सकता। इसकी पूरी प्रक्रिया होती है। टिहरी के पूर्व विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री लाखीराम जोशी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा गया पत्र सोशल मीडिया में अचानक वायरल हुआ। पत्र में जोशी ने राज्य सरकार की आलोचना की है।
इस पत्र के वायरल होने के बाद प्रदेश भाजपा संगठन सक्रिय हुआ। प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने मामले का संज्ञान लेते हुए अन्य नेताओं से इस समेत अन्य मसलों पर विमर्श किया और लाखीराम जोशी के प्रकरण को अनुशासनहीनता माना गया है। प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने जोशी को निलंबित करने के साथ ही उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजने का फैसला लिया। पूर्व मंत्री जोशी को नोटिस का जवाब देने के लिए सात दिन का समय दिया गया। उत्तर न मिलने अथवा इसके संतोषजनक न पाए जाने पर उन्हें पार्टी से निष्कासित भी किया जा सकता है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत का कहना है कि भाजपा में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण विषयों में है। कोई भी कार्यकर्ता, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसे अनुशासनहीनता के मामले में कोई रियायत नहीं दी जा सकती। यदि किसी के मन में कोई विषय है तो वह सीधे मुझसे कह सकता है। मैं संबंधित विषय को उच्च स्तर तक ले जाऊंगा, लेकिन अनुशासनहीनता किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं की जा सकती।
पूर्व कैबिनेट मंत्री लाखीराम जोशी ने कहा कि संगठन इस तरह से निलंबित नहीं कर सकता। इसके लिए पूरी प्रक्रिया होती है। पहले नोटिस दिया जाता है और फिर कार्रवाई होती है। मैंने पार्टी संगठन की छवि बचाने के लिए ही पत्र लिखा है।
इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा मंत्री पद को लेकर अपने अलग-अलग विचार प्रकट किए गए, जिन्हें पार्टी फोरम पर न रखकर सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए गए, जो अनुशासनहीनता की परिधि में आता था, लेकिन विभिन्न चुनावों के कारण पार्टी ने इन नेताओं पर कोई कठोर शिकंजा नहीं कसा। इसके ठीक उलट जिन नेताओं ने विरोध कर विभिन्न क्षेत्रों में चुनाव लड़ा था, उनको पार्टी में वापस ले लिया गया। इसका प्रमुख उदाहरण कई क्षेत्रों में देखने को मिला, जिससे उन नेताओं में नाराजगी और बढ़ी है जिन्होंने चुनावी पराजय प्राप्त की। कोटद्वार नगर निकाय चुनाव में जो कुछ हुआ वह किसी से छुपा नहीं था। यही स्थिति कई पर्वतीय क्षेत्रों की थी जहां पार्टी के विरूद्ध काम करने वाले कई नेताओं को नोटिस दिया गया लेकिन बाद में उन्हें पार्टी में शामिल किया गया। यह इस बात का प्रमाण है कि कहीं न कहीं अनुशासहीनता को परोक्ष रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है जिसके कारण इस तरह की चर्चा करने वालों को बल मिला है। लाखीराम जोशी का प्रकरण भले ही सबसे ताजा तरीन हो लेकिन लाखीराम जोशी से भी अधिक कड़े शब्दों का प्रयोग अन्य विधायकों द्वारा किया गया है जो संगठन की आतंरिक कमजोरी का प्रतीक है। नये प्रभारी तथा सह प्रभारी के लिए इन प्रकरणों पर रोक लगाने की कसरत सबसे महत्वपूर्ण कदम होगा। पूर्व प्रभारी श्याम जाजू के कार्यकाल में हुये प्रकरणों का पटाक्षेप हो गया है। देखना यह होगा कि नये प्रभारी के कार्यकाल में होने वाले अनुशासनहीनता के प्रकरणों पर पार्टी प्रभारी, पार्टी अध्यक्ष तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी क्या निर्णय लेते हैं।

Leave a Reply