पैराशूट प्रत्याशी नहीं! 

उत्तराखंड की एक सीट पर आगामी 9 नवंबर को मतदा

अमर श्रीकांत

देहरादून।  राज्य सभा के लिए उत्तराखंड की एक सीट पर आगामी 9 नवंबर को मतदान होना है और उसी दिन चुनाव परिणाम की घोषणा भी हो जाएगी। राज्य सभा की तिथि का ऐलान होते ही उत्तराखंड की सियासत भी गरमा गई है। उत्तराखंड में राज्यसभा के लिए जीत का समीकरण भाजपा के पक्ष में है। भाजपा जिसे उम्मीदवार बनाएगी, उसकी जीत पक्की मानी जा रही है। भाजपा की ओर से श्याम जाजू, विजय बहुगुणा और अनिल गोयल के नामों की चर्चा जोरों पर है। उम्मीदवार चयन में हाईकमान पार्टी नेताओं से विचार-विमर्श कर रहा है। स्थानीय लोग यह जरूर चाहते हैं कि राज्य सभा के लिए पैराशूट मतलब बाहरी उम्मीदवार खड़ा नहीं किया जाए। क्योंकि पैराशूट उम्मीदवार जीत तो जाते हैं लेकिन उत्तराखंड को भूल जाते हैं। वर्तमान में अभिनेता रहे राज बब्बर सांसद हैं। कांग्रेस ने राज बब्बर को राज्यसभा के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है जिनका कार्यकाल आगामी नवंबर माह में खाली हो रहा है। इस खाली हो रही सीट पर ही आगामी 9 नवंबर को मतदान होना है। रही बात कांग्रेस की तो वह भी किसी न किसी को राज्य सभा के लिए उतारेगी। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को यह पता है कि उसके उम्मीदवार को पराजय का मुंह देखना पड़ेगा। लेकिन कांग्रेस को औपचारिकता तो पूरी करनी होगी, इसलिए पार्टी किसी न किसी को राज्य सभा के लिए निश्चित रूप से उम्मीदवार बनाएगी।

जहां तक सवाल भाजपा का है, यहां भी पैराशूट उम्मीदवार का जबरदस्त विरोध हो रहा है। क्योंकि पैराशूट उम्मीदवार उत्तराखंड के विकास पर ध्यान ही नहीं देते हैं। अतीत में सुषमा स्वराज और संघ प्रिय गौतम को भाजपा राज्य सभा भेज चुकी है। पर किसी ने भी बतौर राज्य सभा सांसद अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं किया। ठीक यही स्थिति राज बब्बर की भी रही। अपने 6 साल के कार्यकाल में राज बब्बर मुश्किल से दो-तीन बार ही उत्तराखंड आए। इसलिए भाजपा में भी अंदर खाने पैराशूट उम्मीदवार का जबरदस्त विरोध हो रहा है। ऐसी स्थिति में श्याम जाजू को टिकट मिलना मुश्किल दिख रहा है। विजय बहुगुणा भी दावेदार हैं। बहुगुणा के समर्थन में कांग्रेस से भाजपा में बरसों पहले आए कुछ विधायक हैं जो चाह रहे हैं कि बहुगुणा को राज्यसभा सभा भेजा जाए।

अनिल गोयल भी दावेदार हैं। जब पार्टी संकट में थी, तब अनिल गोयल को दो बार राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाया गया। यह वह दौर था जब कोई भी भाजपाई राज्य सभा के लिए नामांकन भरने को तैयार नहीं था। लेकिन अनिल गोयल ने दो मर्तबा राज्य सभा के लिए भाजपा की ओर से नामांकन पत्र दाखिल किया। यह जानते हुए भी कि राज्य सभा सीट नहीं निकल सकती। अब जब पार्टी सत्ता में है तो राज्य सभा के लिए दर्जनों दावेदार हो गये हंै। अब देखना दिलचस्प यह होगा कि पार्टी हाईकमान क्या तय करता है, किस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की कृपा होती है  ।

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