आर-पार के मूड में वोटर मप्र उपचुनाव

  

  •    3 नवंबर को मतदान, 10 को आएंगे नतीजे
  • प्रदेश के इतिहास में पहला मौका, जब एक साथ 28 सीटों होंगे चुनाव

राकेश प्रजापति

भोपाल। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश उप चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर 3 नवंबर को मतदान किया जाएगा। वहीं, 16 अक्टूबर तक उम्मीदवार अपना नाम दाखिल कर सकते हैं। चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे! चुनाव आयोग द्वारा चुनावी प्रक्रिया के नतीजे घोषित होते ही प्रदेश में आचार संहिता लागू हो गई है। देश में अभी 64 विधानसभा सीट और एक लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव होने हैं। 64 विधानसभा सीटों में से 28 सीटें मध्यप्रदेश की हैं।

मध्यप्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका है, जब एक साथ 28 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं! यह चुनाव मध्यप्रदेश की राजनीतिक तस्वीर को स्पष्ट करेंगे। जहां भारतीय जनता पार्टी के लिए सरकार बचाना नाक का सवाल है तो वहीं कांग्रेस के लिए वापसी करना तलवार की धार पर चलने जैसा है। कांग्रेस ने अब तक 24 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। 4 सीटों पर मंथन चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि, संभावना बताई जा रही है कि 25 सीटों पर वही भाजपा के उम्मीदवार होंगे जो हाल ही में कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हुए हैं? मुकाबला रोचक होने वाला है क्योंकि मैदान में बसपा के मैदान में कूदने से चुनाव त्रिकोणीय हो गया है।

मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव हैं। 28 में से 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद खाली हुई हैं। वहीं, तीन सीटें विधायकों के निधन से खाली हुई हैं। मध्य प्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका है, जब 28 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। 25 सीटें सिंधिया समर्थकों और पूर्व विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई हैं, वही तीन सीटें विधायकों के निधन के बाद खाली हुई हैं। जहां भाजपा के लिए सरकार बचाना चुनौती है, वहीं कांग्रेस के लिए सत्ता में पुन: वापसी सबसे बड़ा सवाल है जो कमलनाथ और कांग्रेस के भविष्य को एक नई दिशा देगा?

कांग्रेस ने सुरखी विधानसभा क्षेत्र से पारुल साहू को चुनाव मैदान में उतारा है। पारुल हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई है। वहीं, गोविंद सिंह राजपूत बीते मार्च में विधायकी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए थे। पारुल के चुनावी मैदान में आने से सुरखी विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद जताई जा रही है। कांग्रेस ने जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर सुमावली से अजब सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा है।

पिछले विधानसभा चुनाव में भी अजब सिंह और एंदल सिंह कंसाना आमने-सामने थे। तब अजब सिंह बसपा के टिकट पर और इंदल सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। कड़े मुकाबले में कंसाना चुनाव जीत गए थे। मूंगावली विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने कन्हैया राम लोधी को प्रत्याशी घोषित किया है। कन्हैया राम ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक रहे हैं।  कांग्रेस ने जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए श्री लोधी को चुनावी मैदान में उतारा है।

भारत निर्वाचन आयोग ने पोस्टल बैलट की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया है। आयोग द्वारा 3 तरह के वोटरों को यह सुविधा प्रदान की गई है। जिसमें 80 वर्ष से अधिक के वोटर्स, पीडब्ल्यूडी वोटर्स एवं कोविड-19 से प्रभावित व्यक्ति तथा कोविड-19 के संदिग्ध व्यक्ति शामिल है। पोस्टल बैलट की प्रक्रिया के तहत अंतिम नामांकन से 5 दिन तक प्रत्येक आर ओ के पास फार्म 12 डी में आवेदन देने की सुविधा प्रदान की गई है। आवेदन को विधिवत भरकर आरओ के पास जमा करना होगा।

पोस्टल बैलट से वोट देने की सुविधा स्वैच्छिक है। रिटर्निग ऑफिसर प्रपत्र-1 में ऐसे समस्त आवेदनों को सूचीबद्ध कर तैयार करेंगे तथा प्रपत्र 2 में पात्रता का निर्धारण पर पोस्टर जारी करने वाले मतदाताओं की सूची तैयार करेंगे। ऐसे मतदाताओं से पोस्टल बैलेट के माध्यम से वोट प्राप्त करने के लिए एक टीम का गठन किया जाएगा जिसमें मतदान अधिकारी की योग्यता के कर्मचारी सम्मिलित होंगे जिसमें पुलिसकर्मी एवं वीडियोग्राफर अनिवार्य रूप से होंगे।

कोरोना काल में यह उपचुनाव होने जा रहे हैं जिस पर सभी की निगाहें टिकी हुई है। जहां एक तरफ राजनीतिक सरगर्मियां बनी हुई हैं। राजनेता वर्चुअल रैली, सोशल मीडिया के माध्यम से मतदाताओं तक अपनी पहुंच बनाए हुए हैं। दूसरी ओर, चुनाव आयोग किस तरह है शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराता है यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा? भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर होने के बजाय बसपा के मैदान में उतर आने से मामला त्रिकोणीय हो गया है। अब भाजपा के राष्ट्रवाद और लायक उम्मीदवार का नारा कितना कारगर होता है या कांग्रेस के गद्दार और नालायक जैसे शब्द कितने चुटीले और तीखे मतदाताओं को चुभते हैं यह तो मतदाताओं के ऊपर ही निर्भर करता है कि वह आने वाले दिनों में किसे अपना मत देकर उपकृत करती है और किसे धूल के फूल नसीब होंगे? देखना बड़ा दिलचस्प होगा। परंतु इतना तो तय है कि भाजपा से शिवराज और कांग्रेसी कमलनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है इस उपचुनाव के नतीजे ही किस के भविष्य का फैसला करेंगे यह भी देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल तो राजनीतिक दलों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। तरह-तरह के सर्वे राजनीतिक दलों द्वारा कराए जा रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत न होगा कि तमाम तरह के पैंतरे उपचुनाव में देखने को मिलेंगे।

 

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