साई बाबा काशी से निष्कासित
राकेश अचल
रोजाना लिखकर दिहाड़ी कमाने वाले हम जैसे लोग आजकल चकरघिन्नी बने हुए हैं। लिखने के लिए इतने मुद्दे और विषय कुकुरमुत्तों की तरह उग आते हैं। तय कर पाना कठिन हो जाता है कि कौन से मुद्दे पर लिखा जाये और कौन सा छोड़ दिया जाये? आज भी सामने चाँद मियां हैं, गांधी बब्बा हैं, सर्वपितृ मोक्ष…
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