बात 21वीं सदी की, नियम 19वीं सदी के!
सुशील उपाध्याय
देश की नई शिक्षा नीति भारत को 21वीं शताब्दी में ले जाने की बात कर रही है, जबकि उत्तराखंड के सरकारी विश्वविद्यालय अभी 19वीं शताब्दी में ही अटके हुए हैं। इन दिनों इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर विषय चयन के मामले में देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए श्रीदेव सुमन…
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