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विचार

बापू होते तो चुप न बैठते

आज गांधीजी होते तो क्या करते? यह सवाल हर संकट के समय उठता है। शायद इसलिए उठता है क्योंकि हम उसमें से कोई रास्ता निकलता देखते हैं। हम चाहते हैं कि बापू अब भी हमें कोई रास्ता दिखाएं। शायद इसीलिए आज भी हम कोई आंदोलन करते हैं तो राजघाट जाने की इच्छा होती है...
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कृषि सुधारों का विरोध! 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ये मान चुके हैं कि सरकार इन बिलों से होने वाले फायदे किसानों को नहीं समझा पायी है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से छोटे किसानों से मिलकर नये कानूनों के फायदे समझाने की अपील की है। खैर, देर आयद, दुरुस्त आयद
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लोकतंत्र ‘शोर’ के कंधों पर!

इन दिनों संसद से सड़क तक ध्वनि मत का मुद्दा ही जेर-ए-बहस है। हुआ यह कि राज्यसभा यानी सयाने सांसदों के सदन में ध्वनि का ही राष्ट्रीय पंगा हो गया। मनुहार के लिए किसानों को तरह-तरह के लुभावने पैकेज दिये जा रहे हैं। इस साल की एमएसपी महीनों पहले ही बढ़े दामों में घोषित हो गयी। लेकिन हंगामा बरपा है...…
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