सत्यनारायण मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार
इम्फाल/गुवाहाटी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 13 सितंबर के मणिपुर और फिर 14 सितंबर तक असम दौरे के दौरान मणिपुर में विरोध प्रदर्शन और हिंसा की घटनाएं सामने आईं, जबकि असम में स्थिति शांत रही।
प्रधानमंत्री मोदी का मणिपुर दौरा, जो मई 2023 से चली आ रही मेइतेई-कुकी जातीय हिंसा के बाद पहला था, विवादों में घिरा रहा। इम्फाल में कांग्रेस और मणिपुर पीपुल्स पार्टी की युवा इकाइयों ने “गो बैक मोदी” के नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। “राजनीतिक नौटंकी” करार देते हुए “28 महीनों की उपेक्षा” का आरोप लगाया। चुराचांदपुर में कुकी समुदाय की महिलाओं ने बड़े पैमाने पर रैली निकाली, जहां उनके बैनर और कटआउट को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हुई।
14 सितंबर को चुराचांदपुर में हिंसा तब भड़की, जब दो युवकों को बैनर तोड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। गुस्साई भीड़ ने स्थानीय थाने पर पथराव किया और रैपिड एक्शन फोर्स से भिड़ गई। पुलिस ने आंसू गैस और रबर बुलेट्स का इस्तेमाल किया, जिससे कुछ लोग घायल हुए। विपक्ष ने पीएम की ओर से अपने दौरे में शांति की अपील करने और लगभग 8,000 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं के उद्घाटन को “टोकनिज्म” करार दिया।
असम में पीएम मोदी का दौरा भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी समारोह और 18,530 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के उद्घाटन पर केंद्रित रहा। दरंग और गोलाघाट में आयोजित कार्यक्रमों में कोई बड़ा विरोध या हिंसा की खबर नहीं आई। हालांकि, 10-11 सितंबर को तिनसुकिया में बड़ी संख्या में मोरान समुदाय के लोगों ने शांतिपूर्ण टॉर्च रैली निकाली थी, जिसमें अनुसूचित जनजाति (ST) दर्जा और छठी अनुसूची की मांग उठाई गई।
मणिपुर में 2023 से चली आ रही जातीय हिंसा में 260 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। स्थानीय समुदाय केंद्र सरकार की कार्रवाइयों से असंतुष्ट हैं, जिसके चलते पीएम के दौरे को लेकर तनाव बढ़ा। असम में मोरान समुदाय की मांगें लंबे समय से लंबित हैं।
मणिपुर में चुराचांदपुर और इम्फाल में सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं। कोई नई हिंसा की खबर नहीं, लेकिन तनाव बरकरार है। असम में स्थिति अभी सामान्य है, लेकिन मोरान समुदाय की मांगें सरकार के लिए चुनौती बनी हुई हैं।