धामी सरकार का विजिलेंस ड्रामा बेनकाब: गरिमा मेहरा का तीखा हमला”

देहरादून । उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ विजिलेंस को “फ्री हैंड” देने की घोषणा को केवल एक दिखावटी प्रयास करार दिया है। उन्होंने इस बयान को जनता की आंखों में धूल झोंकने वाला और राजनीति की एक नई चाल मानते हुए तीखी आलोचना की। दसौनी का कहना था कि यदि सरकार सच्चे इरादों से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करना चाहती, तो उसे पहले अपने ही मंत्रियों और पार्टी के सदस्यों पर लगे आरोपों की जांच की अनुमति देनी चाहिए थी, जो कि अब तक नहीं हुई है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि “कैबिनेट में शामिल मंत्री गणेश जोशी पर आय से अधिक संपत्ति के गंभीर आरोप हैं, और इसके लिए विजिलेंस ने मुख्यमंत्री जी की कैबिनेट से अनुमति मांगी थी। लेकिन आज तक इस आरोप की जांच के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई। इसके अलावा, इस मुद्दे पर कभी भी कैबिनेट में चर्चा नहीं की गई। जब आप अपने मंत्री पर गंभीर आरोपों के बावजूद जांच की अनुमति नहीं देते, तो ‘फ्री हैंड’ का दावा कौन मानेगा?”

भ्रष्टाचार के आरोपों का एक लंबा सिलसिला

गरिमा मेहरा दसौनी ने भाजपा सरकार के तहत भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर करते हुए कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का केवल दावा करती है, लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है। उन्होंने बताया कि भाजपा सरकार के तहत अनेक घोटाले सामने आए हैं, जैसे:

उद्यान घोटाला – सीबीआई ने करोड़ों रुपये की बंदरबांट की पुष्टि की।

सैन्य धाम घोटाला – धन का दुरुपयोग और अपारदर्शिता के गंभीर आरोप।

हरिद्वार भूमि घोटाला – जमीनों के सौदे में बड़े पैमाने पर घोटाले।

यूपीसीएल स्मार्ट मीटर घोटाला – जूनियर इंजीनियर द्वारा स्मार्ट मीटर घोटाले में संलिप्तता।

जल निगम घोटाला – पत्नियों के नाम पर फर्जी कंपनियां बनाकर ठेके देने की घोटाला।

दसौनी ने कहा कि भाजपा सरकार में घोटालों का सिलसिला निरंतर बढ़ता जा रहा है, लेकिन किसी भी सफेदपोश नेता के खिलाफ एक भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि “2017 से 2025 तक भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला, डबल इंजन से ट्रिपल इंजन तक की सरकार चली, लेकिन एक भी मंत्री, विधायक, सांसद या पार्षद जेल में नहीं गया। यह है भाजपा का ‘जीरो टॉलरेंस फॉर करप्शन’?”

विजिलेंस को फ्री हैंड देना महज एक दिखावा

दसौनी ने मुख्यमंत्री की घोषणा को लेकर तीखा सवाल उठाया कि जब मुख्यमंत्री को खुद यह पता है कि हर विभाग में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का बोलबाला है, तो कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? उनके अनुसार, “विजिलेंस को फ्री हैंड देने की बात केवल मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए कही जा रही है। सरकार यदि भ्रष्टाचार के खिलाफ सच्ची लड़ाई लड़े, तो उसे अपने मंत्रियों और पार्टी के नेताओं पर कार्रवाई शुरू करनी होगी, जो अब तक नहीं हो रही।”

कांग्रेस का भविष्यवाणी: वोट की चोट से जवाब मिलेगा

कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी कहा कि जनता अब सब कुछ देख रही है और समय आने पर जवाब जरूर देगी। दसौनी ने कहा, “उत्तराखंड में हो रहे ताबड़तोड़ भ्रष्टाचार और उगाही इस बात की गवाही दे रहे हैं कि अपराधियों के मन में सरकार और प्रशासन के लिए कोई डर नहीं है। इस सरकार का रसूख और इकबाल खत्म हो चुका है, और गरीब जनता पिस रही है। आने वाले चुनाव में जनता इन सभी सवालों का जवाब वोट की चोट से देगी।”

दसौनी ने अंत में कहा कि वर्तमान सरकार ने जो वादे किए थे, वे केवल वादे ही रह गए हैं। राज्य की जनता को उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं मिल रहा है। ऐसे में, भाजपा को यह समझना होगा कि जनता अब उनका हिसाब करेगी।

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