कल राजभवन, रांची में एक अविस्मरणीय अवसर का साक्षी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जब मेरी स्वयं द्वारा लिखित पुस्तक “A Hand book of Anthropological Thought” का लोकार्पण झारखंड के महामहिम राज्यपाल श्री संतोष गंगवार जी के करकमलों द्वारा संपन्न हुआ।
यह क्षण मेरे लेखकीय और शैक्षणिक जीवन की एक बड़ी उपलब्धि है। मानवशास्त्र जैसे गूढ़ विषय को सरल और सारगर्भित रूप में प्रस्तुत करने का मेरा प्रयास इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों तक पहुँचेगा, यही मेरी कामना है।
मैं इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल महोदय का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ, जिन्होंने मुझे यह गौरव प्रदान किया। साथ ही, उन सभी विद्वानों, शिक्षकों, मित्रों और परिजनों का भी धन्यवाद, जिनका मार्गदर्शन और सहयोग मुझे निरंतर मिलता रहा।
यह सिर्फ एक पुस्तक नहीं, बल्कि मेरे ज्ञान और अनुभव की एक यात्रा है।