IIM लखनऊ का खुलासा, ग्रीनवॉशिंग से उपभोक्ता विश्वास और पर्यावरण को खतरा

सत्यनारायण मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार।
भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) लखनऊ के शोधकर्ताओं ने ग्रीनवॉशिंग, यानी भ्रामक पर्यावरणीय दावों, के खतरों को उजागर किया है। यह शोध, जो सऊदी अरब और इटली के शोधकर्ताओं के सहयोग से हुआ, बताता है कि ग्रीनवॉशिंग न केवल उपभोक्ता विश्वास को ठेस पहुंचाता है, बल्कि टिकाऊ खरीदारी को भी हतोत्साहित करता है।
मुख्य निष्कर्ष:
उपभोक्ता विश्वास पर असर: गलत पर्यावरणीय दावे ब्रांड की साख को कम करते हैं और उपभोक्ताओं का भरोसा तोड़ते हैं।
जागरूक उपभोक्ता की भूमिका: पर्यावरण के प्रति जागरूक लोग ब्रांड्स के दावों की गहराई से जांच करते हैं और ग्रीनवॉशिंग पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हैं।
पारदर्शिता जरूरी: ब्रांड्स को अपने दावों के लिए सत्यापित सबूत पेश करने चाहिए।
IIM लखनऊ के मार्केटिंग प्रबंधन के सहायक प्रोफेसर डॉ. सुशांत कुमार ने कहा, “ग्रीनवॉशिंग ब्रांड्स के लिए खतरनाक है। उपभोक्ता सच्चे पर्यावरणीय दावों की सराहना करते हैं, लेकिन उन्हें सबूतों के साथ पेश करना होगा।”
यह शोध, जो बिजनेस स्ट्रैटेजी एंड द एनवायरनमेंट पत्रिका में प्रकाशित हुआ, भारत में पर्यावरणीय जागरूकता और कॉरपोरेट जवाबदेही को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत में ग्रीनवॉशिंग को नियंत्रित करने वाले कानूनों की कमी को देखते हुए, यह अध्ययन नीति निर्माताओं और उपभोक्ताओं के लिए अहम है।
अगला कदम: शोधकर्ता अब ग्रीनवॉशिंग से प्रभावित उपभोक्ता व्यवहार, जैसे ब्रांड सिफारिश और भावनाओं, पर और अध्ययन करेंगे।

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