अंतरिक्ष स्टेशन, गगनयान और चंद्र अभियानों की तैयारियों में जुटा भारत: इसरो प्रमुख

कोलकाता। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) के प्रमुख वी. नारायणन ने गुरुवार को बताया कि भारत अपने पहले स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन की दिशा में तेज़ी से काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह कदम देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और भारत को वैश्विक स्तर पर अग्रणी अंतरिक्ष शक्तियों की श्रेणी में और मजबूत करेगा।

कोलकाता के राममोहन मिशन में आयोजित एक कार्यक्रम के मौके पर मीडिया से बातचीत करते हुए नारायणन ने बताया कि देश की सुरक्षा और नागरिकों की भलाई के लिए अंतरिक्ष तकनीक का सक्रिय रूप से उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हमारे देश की समुद्री सीमा 11 हजार 500 किलोमीटर से भी अधिक है और साथ ही उत्तरी सीमा भी बेहद संवेदनशील है। इन सीमाओं की निगरानी के लिए सरकार निरंतर कार्य कर रही है।”

57 सैटेलाइट दे रहे हैं सेवाएंनारायणन ने बताया कि वर्तमान में इसरो के 57 उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में कार्यरत हैं, जो मौसम पूर्वानुमान से लेकर सुदूर क्षेत्रों में टेली-एजुकेशन तक विभिन्न सेवाएं दे रहे हैं। इन उपग्रहों की मदद से नागरिकों को समय पर जानकारी मिल रही है, जिससे कई क्षेत्रों में लाभ हो रहा है।

50 टन से अधिक वजनी होगा भारत का अंतरिक्ष स्टेशनइसरो प्रमुख ने बताया कि भारत द्वारा प्रस्तावित अंतरिक्ष स्टेशन का वजन 50 टन से अधिक होगा। यह परियोजना भारत की वैज्ञानिक क्षमता और वैश्विक स्पेस पावर बनने की महत्वाकांक्षा को दर्शाती है।

हाल ही में पीएसएलवी-सी61/ईओएस-09 मिशन की विफलता पर नारायणन ने कहा कि यह इसरो के शानदार रिकॉर्ड में एक दुर्लभ अपवाद है और इससे भविष्य की योजनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

जल्द लांच होगा गगनयाननारायणन ने बताया कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ जल्द ही बिना किसी यात्री के परीक्षण उड़ान के रूप में प्रक्षेपित किया जाएगा। इसके बाद दो मानवयुक्त मिशन भी जल्द ही प्रक्षेपित किए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि ‘चंद्रयान-4’ मिशन अगले ढाई वर्षों में प्रक्षेपित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य चंद्रमा से सैंपल लाना है। वहीं, ‘चंद्रयान-5’ मिशन जापान के साथ मिलकर संचालित किया जाएगा। इसमें 6,400 किलोग्राम वजनी लैंडर और 350 किलोग्राम का रोवर शामिल होगा, जिसकी उम्र 100 दिन होगी। इसकी तुलना में चंद्रयान-3 का लैंडर 1,600 किलोग्राम और रोवर 25 किलोग्राम का था।

महिलाओं की भूमिका को किया रेखांकितराममोहन राय की 253वीं जयंती पर राममोहन मिशन स्कूल में छात्रों को संबोधित करते हुए नारायणन ने समाज सुधारकों और महिलाओं के उत्थान में उनके योगदान को याद किया। उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में महिला वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया।

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