नयी दिल्ली। पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में चल रहे तनाव के बीच भारत और फ्रांस की सरकारों ने सोमवार को यहां फ्रांस के साथ 63 हजार करोड़ रूपये की लागत से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की खरीद के अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किये।
रक्षा मंत्रालय ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस के रक्षा मंत्री सेबास्टियन लेकोर्नु ने इस सौदे पर हस्ताक्षर किये। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूूदगी में भारत और फ्रांस के अधिकारियों ने यहां नौसेना भवन में इस सौदे, विमान पैकेज आपूर्ति प्रोटोकाल, और हथियार पैकेज आपूर्ति प्रोटोकाल की हस्ताक्षरित प्रतियों का आदान प्रदान किया गया।
इस सौदे के तहत भारतीय नौसेना को 22 सिंगल सीट वाले और चार दो सीट वाले विमान मिलेंगे। इन विमानों की आपूर्ति पांच वर्ष यानी 2030 में पूरी होगी और भारत को पहला राफेल मरीन विमान 2028 में मिलने की संभावना है। इन विमानों के लिए चालक दल को प्रशिक्षण भारत और फ्रांस में दिया जायेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इस सौदे को हाल ही में मंजूरी दी थी। इससे पहले जुलाई 2023 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद ने नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन विमानों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इन विमानों को मुख्य रूप से देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात करने के लिए खरीदा जा रहा है। इन विमानों के नौसेना के बेड़े में शामिल होने के बाद हिन्द महासागर में नौसेना की ताकत कई गुना बढ जायेगी।
इस सौदे में विमानों के साथ संबंधित उपकरण, हथियार प्रणाली, सिमुलेटर और प्रशिक्षण साजो सामान भी शामिल है।
इस समझौते में सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल पर जोर के अनुरूप स्वदेशी हथियारों के एकीकरण के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल है। इसमें राफेल फ्यूज़लेज के लिए विनिर्माण सुविधा की स्थापना के साथ-साथ भारत में विमान इंजन, सेंसर और हथियारों के लिए रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल सुविधाएं भी शामिल हैं। इस सौदे से इन सुविधाओं की स्थापना, उत्पादन और संचालन में बड़ी संख्या में छोटी और लघु इकाईयों में रोजगार के हजारों अवसर और राजस्व उत्पन्न होने की उम्मीद है।
अभी नौसेना के पास रूस से खरीदे गये मिग-29 के विमान हैं जो आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात हैं। राफेल मरीन को अपनी श्रेणी में दुनिया के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों में गिना जाता है। ये विमान फ्रांस की डसाल्ट एविएशन कंपनी द्वारा बनाये जा रहे हैं
यह विमान 50 हजार फुट की ऊंचाई पर 35 हजार किलोमीटर से भी अधिक रेंज तक उड सकता है। यह परमाणु हथियारों से हमला करने में सक्षम है तथा समुद्री पोत को निशाना बनाकर छोटी जगह में भी उतर सकता है। राफेल मरीन हवा से हवा में मार करने वाली पोत रोधी मिसाइल से भी लैस है।