साधना उत्सव :विचार गोष्ठी द्वारा साधना उल्फत की जन्म शताब्दी को समर्पित कार्यक्रम

देहरादून। साधना उत्सव केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि यह हरबंस साधना उल्फत की स्थायी विरासत को समर्पित एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि है। ‘नन्ही दुनिया आंदोलन’ की सह-संस्थापक, श्रीमती साधना उल्फत ने शिक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई और अपना संपूर्ण जीवन बच्चों, युवाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण और कल्याण को समर्पित कर दिया।

जन्म शताब्दी समारोह की श्रृंखला के अंतर्गत, नन्ही दुनिया स्कूल द्वारा एक बाल विचार गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें प्रतिस्पर्धा से अधिक सहभागिता को महत्व दिया गया। देहरादून के विभिन्न विद्यालयों से 150 से अधिक बच्चों एवं 40 शिक्षक और स्वयंसेवक इस आयोजन में शामिल हुए और “साधना माँ” के जीवन और मूल्यों को हिंदी और अंग्रेज़ी विचार के माध्यम से स्मरण किया।

प्रतिभागियों को आयु वर्गों के अनुसार विभाजित किया गया, और प्रत्येक समूह को सामाजिक रूप से प्रासंगिक विषयों पर बोलने का अवसर मिला:

आयु 10–12 वर्ष: बहन, माँ, और दादी/नानी जैसे विषयों पर 2 मिनट 30 सेकंड के विचार

आयु 13–15 वर्ष: महिला शक्ति और महिलाओं का सशक्तिकरण विषयों पर 3 मिनट के विचार

आयु 16–18 वर्ष: रचनात्मक महिलाएं भारत का भविष्य हैं, स्वस्थ महिला, स्वस्थ परिवार, और गांव हैं भारत की आशा जैसे विचारों को प्रस्तुत किया गया

इस आयोजन में ज्ञानंदा स्कूल, कार्मन स्कूल, मानव भारती स्कूल, दून गर्ल्स स्कूल, ओलिंपस हाई स्कूल, सोफिया स्कूल, ओएसिस स्कूल, हिम ज्योति स्कूल, देहरादून हिल्स अकैडमी, चार्मवुड स्कूल, स्कॉलर होम, सेंट ऐन्स स्कूल, सेंट एग्नेस स्कूल, और साई ग्रेस स्कूल जैसे प्रतिष्ठित विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भाग लेकर इस कार्यक्रम को पूरे शहर का उत्सव बना दिया।

इस आयोजन का नेतृत्व नन्ही दुनिया के मुख्य शैक्षणिक समन्वयक आलोक उल्फत ने किया, जिन्होंने बच्चों के लिए एक रचनात्मक चित्रकला कार्यशाला भी आयोजित की। इस कार्यशाला में गुंजन सेठी, सत्विका गोयल, और ओजस्य सोहम उल्फत ने सहयोग देकर कार्यक्रम में कलात्मक आयाम जोड़ा।

इस अवसर की शोभा बढ़ाने वाले विशिष्ट अतिथियों में डॉ. सुमन पवार, डॉ. कल्पना त्रिपाठी, श्रीमती अपर्णा मिश्रा, और श्रीमती इरा चौहान शामिल थीं, जिन्होंने बच्चों को अपने विचारों और प्रोत्साहन से प्रेरित किया।

समापन समारोह में नन्ही दुनिया की मुख्य प्रवर्तक श्रीमती किरन उल्फत गोयल ने अपनी मार्मिक प्रस्तुति में श्रीमती साधना उल्फत की स्मृतियों को साझा किया और हर बच्चे को प्रेम, रचनात्मकता और समग्र देखभाल से पोषित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। जो समाज में करुणा, शिक्षा और सहानुभूति के महत्व को सभी तक पहुँचाता है।

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