PETA इंडिया की शिकायत पर एशियाड सर्कस के खिलाफ पक्षियों के पंख काटने के मामले में FIR दर्ज

रुड़की। PETA इंडिया की शिकायत पर रुड़की पुलिस ने एशियाड सर्कस के मालिकों के खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धाराओं 3 और 11 और भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 325 के तहत FIR दर्ज की है।

यह मामला तब दर्ज हुआ जब PETA इंडिया ने यह खुलासा किया कि रुड़की के लाल कुर्ती कैंटोनमेंट में चल रहे सर्कस में विदेशी पक्षियों- मकाव और कॉकटू-के पंख इस तरह काट दिए गए थे कि वे उड़ न सकें, और फिर उन्हें लोगों के सामने ज़बरदस्ती अजीब तरह के करतब करवाए जा रहे थे।

इन पक्षियों की कई प्रजातियां संकटग्रस्त मानी जाती हैं। मामले की गंभीरता के बावजूद, सर्कस प्रबंधन ने पुलिस के साथ सहयोग नहीं किया और संबंधित पक्षियों को छिपा दिया। कुख्यात एशियाड सर्कस पहले भी पशुओं के साथ क्रूरता को लेकर चर्चा में रहा है, और यह मामला एक बार फिर उस क्रूरता को उजागर करता है।

इस सप्ताह, PETA इंडिया की टीम ने एशियाड सर्कस का दौरा किया और देखा कि मंच पर पक्षी घबराहट में अपने कटे हुए पंखों को बार-बार फड़फड़ा रहे थे। उड़ान वाले पंखों को काट देना न केवल पक्षियों को उनकी स्वाभाविक उड़ने की क्षमता से वंचित करता है, बल्कि यह उनके स्थानिक संतुलन की समझ को भी बाधित करता है और लंबे समय तक चलने वाले मानसिक तनाव व आघात का कारण बनता है।

यह कृत्य भारतीय पशु संरक्षण कानूनों के तहत क्रूरता और अंग-भंग की श्रेणी में आता है। जिन पक्षियों के पंख काट दिए जाते हैं, वे अधिक भयभीत रहते हैं क्योंकि वे स्वयं को किसी भी खतरे से बचाने में असमर्थ हो जाते हैं।

PETA इंडिया के क्रूएल्टी रिस्पॉन्स कॉर्डिनेटर वीरेन्द्र सिंह ने कहा, “एशियाड सर्कस बार-बार यह साबित करता आ रहा है कि उसके लिए पशुओं की पीड़ा कोई मायने नहीं रखती।

वहाँ जानबूझकर की जा रही क्रूरता और भारत के पशु संरक्षण कानूनों की अनदेखी न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि अत्यंत दुखद भी है। PETA इंडिया सर्कस संचालकों से आग्रह करता है कि वे पशुओं को तकलीफ़ देने वाले इन पुराने और बेरहम तरीकों को त्यागें, और उनकी जगह स्वेच्छा से भाग लेने वाले वयस्क मानव कलाकारों, कल्पनाशील परिधानों, आधुनिक डिजिटल प्रोजेक्शन और यांत्रिक पशुओं के माध्यम से एक ऐसा मंच तैयार करें जो मनोरंजन के साथ-साथ करुणा और प्रगति का संदेश भी दे।”

यह कोई नई बात नहीं है कि एशियाड सर्कस पर पशु कल्याण से जुड़े नियमों की अनदेखी के गंभीर आरोप लगे हैं। इसका इतिहास लगातार लापरवाही और क्रूरता का रहा है।

2024 में सर्कस का एक पक्षी बिल्ली का शिकार बन गया, संभवतः इसलिए क्योंकि उसके पंख पहले ही काट दिए गए थे, जिस कारण वह उड़कर अपनी जान नहीं बचा सका।

इससे पहले, 2021 में PETA इंडिया द्वारा दायर एक याचिका के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने सर्कस से एक दरियाई घोड़े को बचाने का आदेश दिया था, क्योंकि उसकी देखभाल में घोर लापरवाही की जा रही थी।

प्रदर्शित पशुओं का पंजीकरण प्रमाणपत्र (PARC) रद्द कर चुका है, क्योंकि सर्कस प्रबंधन ने निरीक्षण में बाधा डाली थी और कानून का पालन नहीं किया।

ये सभी घटनाएं स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं कि एशियाड सर्कस पशु कल्याण के नियमों के प्रति लगातार असंवेदनशील और गैर-जिम्मेदार रहा है।

PETA इंडिया इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “पशु मनोरंजन हेतु इस्तेमाल होने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है।

प्रजातिवाद एक ऐसी धारणा है जिसके तहत इंसान स्वयं को इस संसार में सर्वोपरि मानकर, अपनी जरूरतों के अनुसार अन्य प्रजातियों का इस्तेमाल एवं शोषण करता है। अधिक जानकारी के

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