उत्तराखंड निकाय चुनाव : लोकतंत्र की पाठशाला बन रहे घर और मोहल्ले

देहरादून। उत्तराखंड में निकाय चुनाव का शोर न केवल वयस्कों, बल्कि बच्चों के मन को भी रोमांचित कर रहा है। जहां राजनीतिक दल और उम्मीदवार अपनी जीत सुनिश्चित करने में व्यस्त हैं, वहीं बच्चे भी इस चुनावी माहौल को बड़े ध्यान और उत्सुकता से देख रहे हैं। उनके लिए यह केवल एक चुनाव नहीं, बल्कि लोकतंत्र का एक जीवंत पाठ है।

चुनाव प्रचार और नामांकन के दौरान हर मोहल्ले में गूंजते नारे, झंडे, पोस्टर और जुलूस बच्चों के लिए किसी मेले जैसा अनुभव दे रहे हैं। माता-पिता और बड़े-बुजुर्गों की बातचीत में उठाए जा रहे मुद्दे, जैसे सड़कें, सफाई, जलापूर्ति और शिक्षा, बच्चों को यह समझाने में मदद कर रहे हैं कि चुनाव सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि उनके भविष्य को बेहतर बनाने का जरिया है। कई बच्चे अपने परिवार के समर्थन में पड़ोसियों और दोस्तों को मनाने की कोशिश करते हुए “हमारे प्रत्याशी को वोट दो” कहने से नहीं हिचकिचा रहे। कुछ बच्चे तो अपने खेल में चुनाव का माहौल बनाते हुए “मेयर” और “पार्षद” बनने का खेल भी खेल रहे हैं। उनके लिए यह समझने का समय है कि नेतृत्व और जिम्मेदारी कैसे निभाई जाती है।

बच्ची का सवाल और उम्मीदवार का जवाबहल्द्वानी की 10 साल की एक बच्ची ने चुनाव प्रचार के दौरान एक उम्मीदवार से पूछा- क्या आप हमारे स्कूल के पास कूड़ा हटवा देंगे? उम्मीदवार ने न केवल उस बच्ची के सवाल का जवाब दिया, बल्कि वादा किया कि चुनाव जीतने के बाद वे बच्चों के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण बनाएंगे।

चुनावी माहौल में बच्चों का सीखना लोकतांत्रिक अधिकारों का ज्ञान: बच्चों को चुनाव के माध्यम से यह समझने का मौका मिल रहा है कि कैसे उनके माता-पिता और बड़े सही प्रतिनिधि चुनने के लिए अपने वोट का इस्तेमाल करते हैं।जिम्मेदारी का अहसास: बच्चों को यह एहसास हो रहा है कि नेता केवल वादे नहीं, बल्कि उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम भी करते हैं।टीम वर्क और नेतृत्व: चुनाव प्रचार में परिवार और दोस्तों की भागीदारी देखकर बच्चे टीम वर्क और नेतृत्व के महत्व को समझ रहे हैं।

प्रेरणा की नई लहरचुनाव बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहा है। वे अपने भविष्य की योजनाओं में “मैं भी नेता बनूंगा” और “मैं समाज के लिए काम करूंगा” जैसे सपने संजोने लगे हैं।

लोकतंत्र का भविष्य उत्तराखंड के निकाय चुनाव इस बात का प्रतीक बन गए हैं कि लोकतंत्र केवल वयस्कों का काम नहीं, बल्कि नई पीढ़ी के लिए एक सीखने और समझने की प्रक्रिया भी है। बच्चों का यह जोश और उत्साह यह दिखाता है कि हमारा लोकतंत्र सही दिशा में है और आने वाले समय में इन्हीं बच्चों के हाथों में देश का नेतृत्व होगा।

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