सांस्कृतिक उत्सव में झलकी पहाड़ी विरासत, विजेताओं को मिला सम्मान

गुप्तकाशी। केदार घाटी सोशल ऑर्गेनाइजेशन (केएसओ) के तत्वावधान में गुप्तकाशी में 28वां सांस्कृतिक और सम्मान समारोह बड़े ही धूमधाम से आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रंगारंग प्रस्तुतियों ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला पंचायत सदस्य गणेश तिवारी ने किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के मंच से क्षेत्रीय प्रतिभाओं को न केवल पहचान मिलती है, बल्कि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी जगह बना सकती हैं। केएसओ ने 28 वर्षों से खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से क्षेत्र के युवाओं को एक नई दिशा दी है।कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि आयुर्वेदिक फार्मेसी विद्यापीठ के प्राचार्य डॉ. हर्षवर्धन बैंजवाल ने खेलों की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि खेल का असली महत्व जीत-हार में नहीं, बल्कि संघर्ष में है। ऐसे आयोजन युवाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाते हैं। अति विशिष्ट अतिथि राजकीय इंटर कॉलेज गुप्तकाशी के प्रधानाचार्य सुबोध सेमवाल ने कहा कि पढ़ाई के साथ खेल और सांस्कृतिक गतिविधियां व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में सहायक होती हैं।कार्यक्रम के दौरान क्षेत्रीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने गढ़वाली-कुमाऊंनी गीत, नाटक और भजन प्रस्तुत कर संस्कृति की झलक पेश की। सभी अतिथियों का केएसओ टीम ने बैच अलंकरण और माल्यार्पण कर स्वागत किया।

सम्मान और खेल की अनूठी पहलकेएसओ के अध्यक्ष ओमप्रकाश गोस्वामी ने बताया कि समारोह के समापन पर लॉटरी सिस्टम के माध्यम से एक विजेता को स्कूटी प्रदान की जाएगी। केएसओ के प्रणेता मनोज पांडेय ने कहा कि 28 वर्षों से निरंतर चेस और कैरम जैसी प्रतियोगिताओं के माध्यम से क्षेत्र के युवाओं में जागरूकता और आत्मविश्वास बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। यह आयोजन प्रतिभाओं को निखारने का एक महत्वपूर्ण जरिया है। इस अवसर पर क्षेत्र के कई विशिष्ट व्यक्तियों और प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में पंकज भट्ट, कमल रावत, धीरेंद्र भंडारी, विपिन सेमवाल, माधव कर्नाटक, प्रदीप सिंह, वेंकट रमन, लीला देवी समेत सैकड़ों लोगों की उपस्थिति रही।

खेल, संस्कृति और सम्मान का संगमकेएसओ ने अपनी स्थायी पहल से गुप्तकाशी क्षेत्र में न केवल खेल और सांस्कृतिक चेतना का प्रसार किया है, बल्कि प्रतिभाओं को राष्ट्रीय मंच पर लाने का मार्ग भी प्रशस्त किया है।

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