देहरादून। विधानसभा और लोकसभा की सीटों को बढ़ाए जाने की मांग के पीछे कहीं किशोर उपाध्याय का डर तो नहीं? यह कहना है उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दशौनी का ।
दसौनी ने कहा की स्वयं को वन अधिकार आंदोलन के प्रणेता कहने वाले टिहरी से भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय ने अचानक विधानसभा और लोकसभा की सीटें बढ़ाए जाने की मांग करके उत्तराखंड की राजनीति में खलबली मचा दी है ।
दसोनी ने आशंका जताई कि कहीं इसके पीछे किशोर उपाध्याय को 2027 के विधानसभा चुनाव में अपने टिकट जाने का डर तो नहीं है। दसौनी ने कहा कि 2022 में चुनाव लड़े लगभग सभी प्रत्याशी आज भारतीय जनता पार्टी में है, चाहे वह दिनेश घने हो, धन सिंह नेगी हो या फिर जिला पंचायत अध्यक्ष रही और विधायक बनने का सपना देख रही सोना सजवान हो, और तो और दिनेश धनै से उनकी प्रतिद्वंदिता राज्य में किसी से छुपी नहीं है।
ऐसे में बद्रीनाथ में जिस तरह से कांग्रेस से दल बदल कर भाजपा में गए राजेंद्र भंडारी को टिकट देने की वजह से जो झटका लगा उसे देखते हुए बहुत मुमकिन है की पार्टी 2027 में अपने कैडर पर ही भरोसा जताएगी। गरिमा ने कहा कि यदि ऐसा होता है तो तमाम उन लोगों के लिए बड़ी मुश्किलात खड़ी होगी जिन्होंने दल बदल किया है ।
और तो और गरिमा ने कहा की कांग्रेस में रहते हुए प्रदेश भर में वन अग्नि की अलख जगाने वाले, जल जंगल और जमीन पर उत्तराखण्डियों के अधिकार की बात करने वाले किशोर उपाध्याय के अचानक से सुर बदलने का मतलब है कि उन्हें अपना राजनीतिक भविष्य संकट में दिखाई पड़ रहा है।
दसौनी ने यह भी कहा की उत्तराखंड राज्य जिस तरह के आर्थिक संकट से गुजर रहा है ऐसे में यक्ष प्रश्न यह भी उठता है कि क्या उत्तराखंड इस बड़ी हुई संख्या के विधायकों और सांसदों का खर्चा वहन करने की स्थिति में है?