पौड़ी। उत्तराखंड पेयजल निगम में एक और गंभीर गड़बड़ी का मामला सामने आया है। यमकेश्वर ब्लॉक के जुलेड़ी ग्राम समूह पेयजल परियोजना के निर्माण में भारी लापरवाही बरती गई, जिसके परिणामस्वरूप 13 करोड़ की परियोजना पिछले साल की बारिश में बह गई। इस परियोजना के तहत 18 गांवों को पानी की आपूर्ति करनी थी, लेकिन अफसरों की लापरवाही और गलत स्थान चयन के कारण यह योजना विफल हो गई है।
यह परियोजना बैरागढ़ गांव के समीप कुत्ताकाटली गदेरे में बनाई जा रही थी। पिछले साल अगस्त में हुई अतिवृष्टि के दौरान पंपिंग स्टेशन, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, जलाशय और 20 मीटर लंबा पुल बह गए। पंपिंग स्टेशन लगभग 80 प्रतिशत मलबे में दब गया। इस नुकसान के बाद भूगर्भ विज्ञानी डॉ. एमपीएस बिष्ट को जांच सौंपी गई थी। उनकी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया कि परियोजना नदी के बीच बनाई जा रही थी, और स्थान का चयन पूरी तरह गलत था।
डॉ. बिष्ट ने कहा कि इस परियोजना के निर्माण में तकनीकी और पर्यावरणीय खामियां थीं, जिनका असर अब पूरी योजना पर पड़ा है। बावजूद इसके, जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। पेयजल निगम का रवैया ऐसा है कि रिपोर्ट के बावजूद अब तक किसी प्रकार की सख्त कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि, निगम ने परियोजना के लिए अब नई जगह पर निर्माण का प्रस्ताव तैयार करना शुरू कर दिया है।
यह मामला निगम की कार्यशैली और परियोजनाओं की सही योजना बनाने की क्षमता पर सवाल उठाता है। जनता और स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की लापरवाही और बिना योजना के काम से केवल सरकारी धन की बर्बादी होती है, जबकि लोगों को इसका सीधा नुकसान होता है।