देहरादून। बीते रोज पिथौरागढ़ में प्रादेशिक सेना भर्ती में 117 पदों के लिए पहुंच चुके करीब 35 हजार युवाओं के पहुंचने पर अफरा तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया,इस दौरान नदारद दिखे सरकारी इंतजामात यह आरोप लगाया है उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने।
पिथौरागढ़ में चल रही प्रादेशिक सेना भर्ती में शामिल होने के लिए बुधवार को उत्तर प्रदेश के हजारों युवक पहुंचे।
गरिमा ने कहा कि एक पद के सापेक्ष पहुंचे तीन सौ दावेदारों को वापसी पर वाहन नहीं मिलने पर सर्द मौसम में खुले आसमान के नीचे काटनी पड़ी पूरी रात। दसोनी ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में सरकारी इंतजाम ना के बराबर रहे और हालात यहां तक हो गए के प्रशासन को लाठी चार्ज तक करना पड़ा, परंतु सरकार बताएं कि इसमें बेरोजगार युवाओं का क्या दोष था?दसौनी ने कहा कि देश में बेरोजगारी का आलम किस कदर बढ़ रहा है इसका नजारा पिथौरागढ़ में चल रही प्रादेशिक सेना भर्ती में देखने को मिल रहा है। 117 पदों पर भर्ती के लिए अब तक 35 हजार युवाओं का हुजूम एकत्रित हो गया, यानी एक पद के लिए औसतन 300 अभ्यर्थी ।जिला मुख्यालय में प्रादेशिक सेना के विभिन्न यूनिटों में सामान्य ड्यूटी, क्लर्क, नाई सहित अन्य पदों पर बीते 12 नवंबर से भर्ती चल रही है।दसौनी ने जानकारी देते हुए कहा कि सेना की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक कुल 117 पदों पर भर्ती होनी है। बेरोजगारों की भीड़ के आगे इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। भेड़-बकरियों की तरह कई किलोमीटर का सफर तय कर रोजगार की चाह में पिथौरागढ़ पहुंचे युवाओं के सेना भर्ती के सपने चूर चोर हो गए।
गरिमा ने कहा अब तक ओडिशा, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश के युवाओं की भर्ती संपन्न हो गई है। बुधवार को उत्तर प्रदेश के युवाओं की शारीरिक परीक्षा हुई। यूपी से 15 से 20 हजार युवा यहां पहुंचे। अभी झारखंड के युवाओं की भर्ती होनी बाकी है, ऐसे में सरकार की बदइंतजामी की चर्चा पूरे देश में उत्तराखंड की किरकिरी कर रही है। दसौनी ने कहा कमोबेश यही हालत राष्ट्रीय खेलों के दौरान लग रहे कैंपों की भी हो रही है जहां राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को जमीन में सोना पड़ रहा है ,सूत्रों से पता चला है कि उनको डायट भी पूरी नहीं मिल पा रही है और उनके कपड़े धोने के लिए भी कोई इंतजाम दिखाई नहीं दे रहे ।गरिमा ने कहा कि यह सब सरकार की उदासीनता की वजह से हो रहा है ।सरकार और प्रशासन न तो सेना की भर्ती को और ना ही राष्ट्रीय खेलों को गंभीरता से ले रही है, जिससे युवाओं में घनघोर हताशा,निराशा और सरकार के प्रति आक्रोश नजर आ रहा है।