बडकांगांव मे चढा चुनावी रंग, कोई खुद को बता रहा बेटा तो कोई बेटी

बडकांगांव विधानसभा मे आगामी विधानसभा का वोटिंग 13नवम्बर को होना है। कुल प्रत्याशियों मे 25 लोगो ने अपना नामांकन करवाया है। जिसमे पाटी के बैनर सहित अपने दम पर निर्दलीय प्रत्याशी भाग्य अजमा रहे है। बडकांगांव मे इसबार यूं तो टक्कर मुख्यतः दो पार्टियों के बीच है लेकिन किसी के कमजोर होने की कटाक्ष करना शायद अपनी लेखनी के साथ अन्याय होगा। बडकांगांव विधानसभा मे पतरातू प्रखंड का वोट निर्णायक भूमिका निभाता है जहां से किसी के सपनों को हकीकत का पिटारा मिलता है। सभी चुनावी उम्मीदवारों की हकीकत किसी से छिपी नही है कि किसने जनता के बीच कितना समाजसेवा व निस्वार्थ कार्य किया है। और कितना केवल चुनाव के समय बेटा बनने का ढोंग। लगातार पंद्रह वर्षो से विधायक रही कांग्रेस के विधायक ने क्षेत्र वासियों के लिये कितना कार्य किया। या फिर अन्य पाटियो के खडे उम्मीदवारों ने केवल अपना राजनीतिक करियर बनाया। चुनाव मे धन बल सभी की भूमिका अहम होती है। जनता को हर पल नेताओं ने बुडबक बनाया है। आप देखेंगे कि जब ठंड खत्म हो जाती है तो कंबल बांटने का ढोंग पंचायतो मे किया जाता है। जरूरतमंदों को आवास का लाभ न मिलकर राजनीतिक चाटुकारिता करने वालो को इसका लाभ मिलता है। पटेलनगर जैसे कनेक्टिविटी वाली सडक पर करोडो रूपये का फंड ठेकेदारों की भष्टाचार की भेंट चढ गया लेकिन इसपर खुद को आपका पालनहार बताने वाले इन जनप्रतिनिधियों मे किसी ने आगे आगर इसकी सुध नहीं ली। आखिरकार क्या फायदा ऐसी चाटुकारिता राजनीतिक का जब जनता के कार्यों मे आपकी सहभागिता न हो।

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