देहरादून। उत्तराखंड मदरसा एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून काजमी ने गुरुवार को कहा कि अब राज्य के मदरसों में शीघ्र ही संस्कृत की शिक्षा दी जाएगी। इस संबंध में मदरसा बोर्ड की संस्कृत शिक्षा विभाग के साथ चर्चा हो चुकी है। इसके लिए जल्द ही एक एमओयू हस्ताक्षारित किया जाएगा।
उत्तराखंड मदरसा एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून काजमी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में देश के सभी समुदायों को ‘सबका साथ सबका विकास’ के संकल्प को विकास को गति मिल रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने से अलग रखा। कांग्रेस अपने वोट बैंक के लिए भाजपा और संघ का डर दिखाती रही। कांग्रेस को बच्चों के भविष्य से लेना-देना नहीं है।उन्होंने कहा कि मदरसे को लेकर अब तक की धारणा खासतौर से एक अलग समुदाय की भाषा और कल्चर रखी जाती थी लेकिन अब इसे बदलने का प्रयास किया जा रहा है। मदरसों में उर्दू, आरबी के साथ संस्कृत भाषा का ज्ञान दिया जाएगा।शमून काजमी ने बताया कि मदरसों में संस्कृत पढ़ाने के संबंध में उनकी ओर से संस्कृत विभाग के सचिव दीपक कुमार से मुलाकात की गई है, जिसके बाद ये फैसला लिया गया है कि संस्कृत विभाग के साथ एक अनुबंध किया जाएगा। दोनों प्राचीन भाषा एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में मदरसा एजुकेशन बोर्ड और मदरसों में लगातार रिफॉर्म के चलते अब कई ऐसे नए प्रावधान किए जाएंगे। जिन्हें अब तक तर्कसंगत नहीं समझा जाता था। जल्द ही एक एमओयू समझौता ज्ञापन करने के बाद उत्तराखंड के सभी पंजीकृत मदरसों में संस्कृत शिक्षा का भी अध्ययन करवाया जाएगा। शमून काजमी ने बताया कि संस्कृत और अरबी दोनों प्राचीन भाषाएं हैं। इन दोनों के कल्चर में काफी हद तक एक दूसरे से समानता है। आज यदि मौलवी को ठीक से संस्कृत पढ़ा दी जाए तो दोनों समुदाय के बीच में कई सारे मसले अपने आप ही ठीक हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि मदरसों में गाय, गंगा और पर्यावरण को लेकर भी अभियान चलाया जा रहा है। योग किसी धर्म विशेष का नहीं है बल्कि शरीर को स्वस्थ रखने के साथ सभी को जोड़ने का काम करता है। इस तरह से भाषाएं भी सभी धर्म के आपस मे जोड़ कर ज्ञान को बढ़ाने का काम करती है।