पिछले 5 वर्षों में जंगली गधा (घुडखर) की संख्या में लगभग 26 प्रतिशत की वृद्धि
अहमदाबाद। भारत में केवल गुजरात में पाए जाने वाले जंगली गधे (घुडखर) राज्य का गौरव हैं। गुजरात सरकार के निरंतर प्रयास एवं विभिन्न जागरूकता के अभियानों के फलस्वरूप जंगली गधों की आबादी 7,672 दर्ज हुई है। यानी घुडखरों की संख्या में 26.14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
गुजरात सहित भारत भर में हर वर्ष 2 से 8 अक्टूबर के दौरान ‘वन्य जीव संरक्षण सप्ताह’ मनाया जाता है। ऐसे में जंगली गधों की संख्या में वृद्धि राज्य के लिए वन्य जीव संरक्षण क्षेत्र में विशेष उपलब्धि है। वन एवं पर्यावरण मंत्री मुलुभाई बेरा ने इस संबंध में कहा कि अतीत में घुडखर उत्तर-पश्चिम भारत, पाकिस्तान से लेकर मध्य एशिया के शुष्क क्षेत्र तक विचरण करते पाए जाते थे। हालाँकि ये जंगली गधे हाल में भारत में एकमात्र गुजरात के कच्छ के छोटे व बड़े रेगिस्तान (रण) में ही पाए जाते हैं।
बेरा ने कहा कि हर पाँच वर्ष में जंगली गधों की गिनती होती है। इस वर्ष भी राज्य के वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा 10वीं घुडखर (जंगली गधा) गणना की गई, जिसमें राज्य में जंगली गधों की कुल आबादी 7672 दर्ज हुई है, जबकि पिछली गणना के अनुसार गुजरात में 6082 जंगली गधे थे। गुजरात के जंगली गधे विश्व में ‘Equus heminious khur’ तथा ‘खुर’ के रूप में जाने जाते हैं।
घुडखर गणना का विवरण देते हुए वन मंत्री ने बताया कि जंगली गधे राज्य के मुख्य रूप से छह जिलों में पाए जाते हैं। 10वीं घुडखर गणना के अनुसार सर्वाधिक 2705 घुडखर सुरेन्द्रनगर में पाए गए हैं, कच्छ में 1993, पाटण में 1615, बनासकाँठा में 710, मोरबी में 642 तथा अहमदाबाद में 7 जंगली गधे पाए गए हैं। इसके अतिरिक्त वन क्षेत्र के अनुसार सर्वाधिक 3234 घुडखर ध्रांगध्रा में, 2325 राधनपुर में तथा 2113 जंगली गधे भचाऊ वन रीजन में बसते हैं।
इतना ही नहीं, वन एवं अभ्यारण्य क्षेत्र में 2569 मादा घुडखर, 1114 नर घुडखर, 854 बाल घुडखर तथा 2205 न पहचाने गए घुडखर हैं। राजस्व क्षेत्र में 558 मादा घुडखर, 190 नर घुडखर, 168 बाल घुडखर तथा 283 न पहचाने गए घुडखर हैं। इस प्रकार दो क्षेत्रों को मिला कर राज्य में कुल 7672 जंगली गधे दर्ज हुए हैं।
वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री मुकेशभाई पटेल ने कहा कि घुडखर गणना अनुमान (डब्ल्यूएपीई) – 2024 में लगभग 15510 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में डाइरेक्ट काउंट मेथड से गणना की गई। वर्ष 2024 में जंगली गधों के साथ अन्य वन्य जीवों की भी गणना की गई। इस गणना में नीलगाय, चिंकारा, काले हिरन, जंगली सूअर, भारतीय सियार, सफेद पैरों वाली लोमड़ी (रण लोंकडी) जैसे वन्य जीव शामिल हैं। इनमें सर्वाधिक 2734 नीलगाय, 915 जंगली सूअर, 222 भारतीय खरगोश, 214 चिंकारा एवं 153 भारतीय सियार दर्ज हुए हैं।
घुडखर के साथ जुड़े अन्य वन्य जीवों का विवरण
नीलगाय– 2734, जंगली सूअर– 915, भारतीय खरगोश– 222, चिंकारा– 214, भारतीय सियार– 153, सफेद पग लोमड़ी– 70, भारतीय लोमड़ी– 49, काले हिरन– 39, भारतीय लकड़बग्घा– 15, रेगिस्तानी बिल्ली– 11, जंगली बिल्ली– 04, भारतीय भेड़िये- 02
मुकेशभाई पटेल ने कहा कि डब्ल्यूएपीई– 2024 के आयोजन को पूर्ण करने के लिए गणनाकारों ने जंगली गधों व अन्य वन्य जीवों की पहचान के लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया था। गणनाकारों को परंपरागत पद्धति के साथ ड्रोन कैमरा, कैमरा ट्रैप, ई-गुज फॉरेस्ट मॉड्यूल जैसे टेक्नोलॉजी से युक्त संसाधन भी दिए गए थे।
भारतीय जंगली घुडखर (Equus heminious khur) की विशेषताएँ ये हैं कि गुजरात के ये जंगली गधे रेगिस्तान में 45 से 50 डिग्री जैसे ऊँचे तापमान में जीवित रह सकते हैं। मरुस्थल में स्थित टापुओं पर उगने वाली घास ही इन जंगली गधों का मुख्य आहार है। बादामी रंग के घुडखर बहुत भरावदार शरीर वाले हैं और रेगिस्तान में 50 से 70 किलोमीटर की गति से दौड़ सकते हैं। सामान्य रूप से झुंड में विचरण करने वाले घुडखरों की प्रकृति शर्मीली होने के कारण वे इंसान को देखते भागने लगते हैं। राज्य मंत्री ने कहा कि गुजरात के गौरव समान इन दुर्लभ प्राणियों के संरक्षण की जिम्मेदारी सरकार की ही नहीं, बल्कि सभी नागरिकों की भी है।
उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन)– 2008 की रिपोर्ट के अनुसार जंगली गधे बहुत ही कम संख्या में होने के कारण उन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अधिसूची 1 में आरक्षित किया गया है। आईयूसीएन के थ्रेटेंड स्पिसेस की सूची में घुडखर को एंडेजर्ड कैटेगरी में रखा गया है। इसे ध्यान में रखते हुए गुजरात सरकार द्वारा घुडखर को लुप्त होने से बचाने व उनके संरक्षण का कार्य किया जा रहा है, जिसके चलते उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। घुडखर गणना अनुमान के अनुसार वर्ष 1976 में 720, 1983 में 1989, 1990 में 2072, 1999 में 2839, 2014 में 4451 और वर्ष 2020 में 6082 घुडखर दर्ज हुए थे, जो वर्ष 2024 में बढ़ कर 7672 हो गए हैं।