कांकेर। वनोपज संग्रहण मजदूर यूनियन अपनी विभिन्न समस्याओं को अक्तूबर माह में आंदोलन का आह्वान किया है। उसी तारतम्य में कांकेर जिला में विभिन्न आदिवासी गांवों में वनोपज संग्रहनकर्ताओं की बैठक आयोजित की जा रही है। उक्त आशय की जानकारी यूनियन के राज्य अध्यक्ष बीमा गोडरा ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी।
उन्होंने बताया की इसी सिलसिले में आज चारामा ब्लॉक के मायना गांव में यूनियन के कार्यकर्ताओं के साथ आंदोलन की तैयारी के सिलसिले में चर्चा कर रूपरेखा तय की गई है। यूनियन के नेता ने कहा कि बस्तर जो एक आदिवासी क्षेत्र है और इन आदिवासियों का मुख्य आय का साधन वनोपज ही है। वनोपज आहरण से ही आदिवासी समाज का जीविकापोर्जन होता है। क्योंकि आदिवासी समाज का मुख्य आय का साधन वनोपज है इसलिए आर्थिक रूप से वे समाज के सबसे कमजोर तबका है। समाज के इस बहुमत जनता के आर्थिक विकास के बिना सम्पूर्ण समाज का विकास असंभव है।
उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश में औसतन प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि हो जाने की ढिंढोरा पीट रही है लेकिन वास्तविकता यह है कि आदिवासी समाज का कोई आर्थिक विकास नहीं हुआ है।और सरकार के पास इसकी भी कोई योजना नहीं है कि समाज के सबसे कमजोर तबकों का उत्थान कैसे हो।
सुश्री गेडरा ने बताया कि आदिवासी लोग जंगलों से कीमती वनोपज संग्रहण करते है लेकिन उनको उन वनोपज के बाजिव मूल्य नहीं मिल पाता है।उनके श्रम का पूरा शोषण व्यापारी लोग करते है। और सरकार भी व्यापारी वर्ग के हितों में ही नीतियां बनाते है ताकि आदिवासी लोग वनोपज व्यापारी को ही काम दाम पर बेचने के लिए विवश हो जाए।
आए दिन जंगलों में जंगलों में वनोपज संग्रहण के दौरान आदिवासी खूंखार जंगली जानवरों के हमले का शिकार होते है। लेकिन जंगली जानवरों के हमले से घायल या मौत की स्थिति में सरकार के तरफ से कोई उचित मुआवजा नहीं दिया जाता।
इन मुद्दों को सामने रखकर यूनियन का प्रचार अभियान संचालित हो रहा है।
आज की बैठक में यूनियन के राज्य सहसचिव सुखरंजन नंदी भी मौजूद थे।
आज की बैठक में मुख्य रूप से हेमलता सिन्हा,परमेश्वरी,रीना नेमेंद्र, पुष्पा पोया, मीना मरकाम, मया बघेल,श्रीमती इवन,पद्मा सिन्हा,उपस्थित थे।