विभिन्न आदिवासी एवं किसान समूह द्वारा अच्छी फसल और बारिश के लिए करम की पूजा की जाती है :नैना
रामगढ़ ।एक सप्ताह से चली आ रही कर्म पूजा की प्रक्रिया एवं विधि विधान की समाप्ति रविवार को करम की डाली को पानी में बहा कर पूजा संपन्न हुई। प्रकृति की इस कर्म की डाली की पूजा के पीछे अनेक मान्यताएं हैं, जिसमें भाई-बहन का प्रेम, अच्छी,अच्छा बारिश, समाज में रह रहे लोगों का स्वास्थ्य, युवा एवं यौवन के प्रति कम देवता की पूजा की जाती है। इस संबंध में कर्म पूजा के दौरान नागपुरी नृत्य पर थिरकन वाली नैना कुमारी से पूछा गया तो उसने बताया कि करमा पर्व कर्म और करम पर आधारित,जिसका मतलब परिश्रम और भाग्य होता है। उन्होंने बताया कि करमा नृत्य नई फसल के आने की खुशी में मनाया जाता है। इस संबंध में नृत्य कर रही सपना, रूही एवं इशिका ने बताया कि यह पर्व आदिवासी समाज और विभिन्न किस समूह के परिवार के सदस्य अपने-अपने क्षेत्र में मनाते हैं। नृत्य कर रही लड़कियों ने बताया कि मान्यता है कि यह पर्व भाई बहन के रिश्तों को मजबूत करने के लिए कर्मा और धर्मा की पूजा कर्म देवता को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि सदियों से बैगा,भूमिज, उरांव, खड़िया मुंडा, कुर्मी,कोरबा, भुइया, घटवाल, बगाल,खरवार, बिंझवारी, करमाली, लोहरा एवं विभिन्न आदिवासी समुदाय के लोग प्रकृति की पूजा के रूप में इसे मनाते हैं। नृत्य प्रस्तुत करने वाली लड़कियों में ज्योति कुमारी संजू कुमारी श्रुति कुमारी श्वेता कुमारी काजल कुमारी सपना कुमारी सिमरन कुमारी मिस्टी कुमारी दिव्या कुमारी नैना भारती शामिल थी। दर्जनों महिलाएं नृत्य का आनंद उठा रही थी। रात भर भारी बारिश के बावजूद भी खुले आसमान के नीचे लोग कर्म पूजा के कार्यक्रम में शामिल थे।