ब्रह्माकुमारीज ने आयोजित किया राजनेता सम्मेलन

स्वयं को बदलने का संकल्प लिया राजनेताओं ने!

डॉ. श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के आबू रोड़ स्तिथ आनंद सरोवर परिसर में राष्ट्रीय राजनीतिक सम्मेलन आयोजित किया गया।

जिसमें देशभर से राजनेता, जनप्रतिनिधि, पार्टियों के पदाधिकारियों ने भाग लिया।तनावमुक्त शासन के लिए राजनेताओं का आध्यात्मिक सशक्तिकरण विषय पर आयोजित सम्मेलन में बीके बृजमोहन भाई ने कहा कि राजनीति करने वाले लोगों के लिए योग, ध्यान और साधना बहुत जरूरी है। ब्रह्माकुमारीज़ के ज्ञान से हमें मानसिक शांति मिलती है। इससे शांति-सुख का मार्ग प्रशस्त होता है। कोई भी धर्म हो सभी का मकसद समाज का उत्थान होता है। पहले की सत्ता में राजगुरु होते थे और उन राजगुरु के हिसाब से सत्ता चलती थी। सत्ता में सबके कल्याण का भाव होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की गुलामी के कारण हम अपनी शक्ति को भूल गए और जो मुक्ति का मार्ग था उससे भटक गए। स्वामी विवेकानंदजी ने 21वीं सदी के भारत की भविष्यवाणी 19वीं सदी में की थी। आज ब्रह्माकुमारीज़ के माध्यम से सकारात्मक वातावरण का निर्माण हो रहा है। 21वीं सदी के भारत का सपना आज साकार हो रहा है। हमारे मन में सकारात्मक ऊर्जा, मन का निर्माण हो रहा है और हम ईश्वर के निकट जा रहे हैं। आत्मा को जब हम परमात्मा के निकट ले जाने लगते हैं तो आत्मा-परमात्मा के बीच कोई दूरी नहीं रहती है। अपनी लिए जीना एक कहानी है और औरों के लिए जीना एक जिंदगानी है।ब्रह्माकुमारीज के अतिरिक्त महासचिव बीके राजयोगी बृजमोहन भाई ने आगे कहा कि हर चीज अपनी तीन अवस्थाओं से गुजरती है- सतो, रजो और तमो। नवदुनिया के निर्माता, परमपिता ने जब दुनिया की स्थापना की थी, तब यह दुनिया स्वर्णिम दुनिया स्वर्ग, सतयुग थी। वहां सभी देवी-देवता थे, इसलिए हम सभी देवी-देवताओं के वंशज हैं। सतयुग में एक धर्म, एक राज्य, एक भाषा होती है। वहां हर चीज अपनी संपूर्ण अ‌वस्था सतो प्रधान रूप में होती है। धीरे-धीरे सृष्टि के क्रम में बदलाव आ जाता है और सतो से रजो और रजो से तमो अ‌वस्था आती है। वर्तमान में दुनिया की तमोप्रधान अ‌वस्था चल रही है। अब पुन: परमात्मा इस धरती पर आकर सतोप्रधान दुनिया, स्वर्णिम दुनिया की स्थापना कर रहे हैं। उस दुनिया में सभी सर्वगुण संपन्न, 16 कला संपूर्ण थे। राजनीतिक प्रभाग की उपाध्यक्ष राजयोगिनी लक्ष्मी दीदी ने कहा कि राजनीति में अध्यात्म के समावेश से ही राजनीति की दशा और दिशा बदलेगी। राजनेताओं में निस्वार्थ समाजकल्याण की भावना का विकास होगा।राजयोगिनी उषा दीदी ने मंत्र दिया कि यदि हमने अपनेआप पर राज कर लिया तो हम दुनिया पर राज कर सकते हैं। यहां के पवित्र वातावरण का आप सभी भरपूर लाभ लें। एक राजनेता का कर्तव्य धर्म की रक्षा करना भी होता है।उषा दीदी ने कहा कि तीन सत्ताएं प्रमुख होती हैं- परमात्म सत्ता, राज सत्ता, धर्म सत्ता। पहले जो राज सत्ता थी उसमें धर्म सत्ता और विज्ञान की सत्ता भी शामिल थी। शनै-शनै धर्म सत्ता और राज सत्ता अलग हो गईं। सवाल ये है कि हम कैसा अपना देश, कैसा विश्व चाहते हैं। हम अपने भारत को सोने की चिड़िया वाला भारत कहते हैं। वह प्रेरणादायक नेतृत्व, परमात्म शक्तियों और वरदानों से बनेगा। लीडर वही है जिसके प्रेरणादायक विचार और व्यक्तित्व होता है। नेता की पहचान इस बात से है कि आप करते क्या हैं, क्या कहते हैं और आप क्या हैं। राजनीतिक प्रभाग की मुख्यालय संयोजिका राजयोगिनी बीके ऊषा दीदी ने कहा कि देशभर से आए राजनेताओं का हृदय से स्वागत है। उत्तराखंड से राज्य मंत्री स्तर श्यामवीर सैनी ने कहा यहां आकर ऐसा लग रहा है जैसे सतयुग आ चुका हो और मैं सतयुगी स्वर्णिम सभागार में बैठकर सीधे परमात्मा से रूह रिहान कर रहा हूं।मेरा सौभाग्य है कि मेरे मित्र श्रीगोपाल नारसन जो हरीश रावत सरकार के समय मुख्यमंत्री के प्रवक्ता रहे और वर्तमान में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलपति है,मुझे यहां लेकर आए है,हमारे साथ लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष किसान नेता चौधरी सेठपाल परमार भी यहां मौजूद है।मैं सुबह 5 बजे उठकर बाबा रामदेव की प्रेरणा से नियमित योग करता हूं, लेकिन जैसे ही सुबह मेरी आँख खुलती है,मुझे मोबाइल पर भ्राता श्रीगोपाल नारसन की ब्रह्माकुमारीज से जुड़ी एक कविता व उनके बुलेटिन में ब्रह्माकुमारीज की प्रेरक वीडियो देखने को मिलती है।उन्ही के माध्यम से मुझे कई बार ब्रह्माकुमारीज के सेवा केंद्रों पर कार्यक्रमो में जाने का अवसर मिला।कल ब्रह्माकुमारीज के शिक्षा प्रभाग अध्यक्ष राजयोगी मृतुन्जय भाई से मुलाकात हुई और उन्होंने हमारा सम्मान किया,मृतुन्जय भाई की सोच है कि हम राजनीतिक लोगो को देश मे कक्षा 12 तक निशुल्क शिक्षा व सबको भोजन मिले ऐसे प्रयास करने चाहिए।ब्रह्माकुमारीज में सबको निशुल्क भोजन की व्यवस्था देखकर मैं बहुत प्रभावित हुआ।निश्चित ही हम कह सकते है कि देश ही नही दुनिया को संवारने में ब्रह्माकुमारीज की महती भूमिका है।मैं तो यहां पहली बार आया हूं और लगता है ,अब बार बार आऊंगा।चार बार के विधायक गंगाराम भाई ने कहा कि वे आजीविका के लिए बूट पालिस करते थे और मात्र छठी पास है,साथ ही जुवां खेलने व नॉनवेज खाने की लत थी,लेकिन जब से ब्रह्माकुमारीज में आया हूं तब से मेरा जीवन ही बदल गया है।आज वे पूरी तरह से सात्विक है और अहिंसक हो गए है।उज्जैन के सांसद बालयोगी उमेशनाथ व रीवा के सांस जगन्नाथ मिश्रा ने भी अपने अनुभव साझा किए।कई सत्रों में व विभिन्न विषयों को लेकर आयोजित चर्चा-परिचर्चा में कई विधायकों, पार्टी नेताओं तथा ब्रह्माकुमारीज के वक्ताओँ ने राजनीति से आध्यात्म को जोड़ने की पैरवी की।सांस्कृतिक कार्यक्रम में नन्हे मुन्ने बच्चों ने अपने नृत्य व गायन से स्वस्थ मनोरंजन किया ।मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।इस सम्मेलन में भारत के कोने कोने से व नेपाल से बड़ी संख्या में नेताओं ने भागीदारी की।संचालन बीके सपना ने किया।ब्रह्माकुमारीज संस्था के कार्यकारी सचिव बीके मृतुन्जय भाई ने राज्य मंत्री स्तर श्यामवीर सैनी,किसान नेता सेठपाल परमार व विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलपति श्रीगोपाल नारसन का शाल ओढाकर व ईश्वरीय सौगात देंकर सम्मानित किया।

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