कोलकाता। पश्चिम बंगाल में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक से बलात्कार और फिर उसकी हत्या के विरोध में कनिष्ठ चिकित्सकों ने राज्य के स्वास्थ्य भवन के बाहर बृहस्पतिवार भी अपना धरना जारी रखा और काम भी बंद रखा। प्रदर्शनकारी चिकित्सक राज्य के स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय ‘स्वास्थ्य भवन’ के बाहर 40 घंटे से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे हैं।
राज्य सरकार ने इससे पूर्व गतिरोध सुलझाने के लिए वार्ता की पूर्व शर्त के रूप में प्रदर्शनकारियों की उन मांगों को मानने से इनकार कर दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुख्य सचिव द्वारा निर्धारित अधिकतम 15 प्रतिनिधियों के बजाय बैठक में कम से कम 30 प्रतिनिधियों को अनुमति दी जाए, केवल उनकी मांगों पर बातचीत की जाए, बातचीत का टीवी पर सीधा प्रसारण किया जाए और चर्चा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्थिति में की जाए।
सॉल्ट लेक स्थित ‘स्वास्थ्य भवन’ और उसके आसपास बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है तथा यातायात को नियंत्रित किया गया है। धरना दे रहे एक चिकित्सक ने एक न्यूज एजेंसी से कहा, ”हम अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे और काम बंद रखेंगे। हम इसे जारी नहीं रखना चाहते थे, लेकिन राज्य सरकार हमारे साथ कोई बैठक करने को तैयार नहीं है और हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमारे प्रदर्शन के पीछे कोई राजनीति नहीं है।”
कनिष्ठ चिकित्सकों द्वारा 34वें दिन भी ‘काम बंद’ रखने के कारण सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बृहस्पतिवार को भी प्रभावित रहीं। राज्य की स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बुधवार को कहा था कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन उन्होंने यह भी दावा किया ‘राजनीतिक ताकतें’ चिकित्सकों के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती हैं। चिकित्सकों ने चंद्रिमा भट्टाचार्य के दावों का तुरंत खंडन करते हुए इन्हें निराधार बताया और कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं तब तक धरना जारी रहेगा।
राज्य सरकार ने प्रदर्शनकारी चिकित्सकों को बुधवार शाम छह बजे नबान्न (राज्य सचिवालय) में बैठक के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन निमंत्रण में यह पुष्टि नहीं की गई थी कि बनर्जी इसमें शामिल होंगी या नहीं। राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत ने चिकित्सकों को भेजे एक ईमेल में कहा था कि हम आपके प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रित करते हैं, जिसमें 12-15 सहकर्मी शामिल हों, जो आज (बुधवार) शाम छह बजे ‘नबान्न’ में चर्चा के लिए आएं।
उन्होंने काम पर लौटने के महत्व पर जोर दिया था। जूनियर चिकित्सकों ने निमंत्रण के बावजूद बैठक के लिए सहमत होने से पहले कई पूर्व शर्तें रखी थीं। कनिष्ठ चिकित्सकों के संगठन के एक सदस्य ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि चर्चा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में हो और इसका सीधा प्रसारण हो। हम कम से कम 30 प्रतिनिधि चाहते हैं क्योंकि यह आंदोलन विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में फैला हुआ है।’’