देहरादून। पंजाब की एक किशोरी के साथ हुई गैंगरेप ने उत्तराखंड को एक बार फिर से कलंकित कर दिया है। सबसे अहम बात यह है कि घटना 13 अगस्त की सुबह की है। जबकि घटना की जानकारी चाइल्ड वेल फेयर कमेटी को इसलिए थी उस कमेटी को ही सबसे पहले इसकी जानकारी लगी। तब से लेकर अब तक पीड़िता चाइल्ड वेल फेयर की देखरेख में थी। कमेटी ने पुलिस को जानकारी काफी देर से दी। सूत्रों के मुताबिक पुलिस को सूचना शनिवार को दी गई। देर के पीछे क्या वजह है यह यो जांच का विषय है ।हालांकि पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। पुलिस का कहना है कि चाइल्ड वेल फेयर कमेटी को उस दिन ही सूचना पुलिस को देनी चाहिए थी ताकि साक्ष्य को लीपापोती करने से बचाया जाता। पुलिस पूरे मामले पर नजर रखे हुए है। वहीं आईएसबीटी की सुरक्षा को लेकर भी जबरदस्त सवाल उठने लगे है। आश्चर्य की बात यह है कि आईएसबीटी की सुरक्षा एमडीडीए के पास है। घटना के दिन एमडीडीए के गार्ड कहां थे। बस के अंदर गैंगरेप की घटना घट गई लेकिन एमडीडीए द्वारा तैनात सुरक्षा कर्मियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर पुलिस चौकी भी है । आईएसबीटी में रात भर बसों का आवागमन रहता है। बावजूद चौकी में तैनात पुलिस कर्मियों की गैंगरेप की भनक तक नहीं लग पाई। इससे बड़ी दुखद स्थिति और क्या हो सकती है। अहम सवाल यह है कि आईएसबीटी में भारी संख्या में इंटेलीजेंस के लोग भी रहते हैं। बावजूद पुलिस को तीन चार दिन बाद घटना की जानकारी मिलना,सबसे बड़ी विडम्बना है। पुलिस को घटना की जानकारी में काफी देर हुई है। अब इसकी जांच कौन करेगा। किशोरी नारी निकेतन में है। लेकिन इसकी बारीकी से पड़ताल की जानी चाहिए।