हमास कल होने वाली शांति वार्ता से पीछे हटा, नेतन्याहू पर युद्ध लंबा खींचने का आरोप

दोहा। इजराइल और कुख्यात आतंकवादी समूह हमास के बीच गाजा में छिड़े युद्ध से चिंतित दुनिया तमाम कोशिशों के बीच दोनों को शांत नहीं करा पा रही। इस दिशा में एक और कोशिश कल (गुरुवार) कतर की राजधानी दोहा या मिस्र की राजधानी काहिरा में होने वाली है। अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ देशों की इस संघर्ष विराम वार्ता या शांति वार्ता पर सबकी नजर है। मगर हमास ने साफ कर दिया है कि वह इस वार्ता में हिस्सा नहीं लेगा। अमेरिकी समाचार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में इस संबंध में विस्तृत चर्चा की है। अखबार का कहना है कि हमास के नेताओं को नहीं लगता कि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार अच्छे विश्वास के साथ बातचीत कर रही है।

लेबनान में मौजूद हमास नेता अहमद अब्दुल हादी ने कहा है, “नेतन्याहू को ऐसे समझौते पर पहुंचने में कोई दिलचस्पी नहीं है जो आक्रामकता को पूरी तरह से समाप्त कर दे। वह युद्ध को लंबा खींचना चाहते हैं।” द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, हमास का यह निर्णय अच्छा संकेत नहीं है। बावजूद इसके उसने सौदेबाजी की मेज को पूरी तरह से छोड़ा नहीं है। पूरे युद्ध के दौरान हमास नेताओं ने सीधे तौर पर इजराइली अधिकारियों से मुलाकात जरूर नहीं की पर मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के लिए कतर और मिस्र पर भरोसा किया। इस समय भी हमास के कई प्रमुख नेता कतर में हैं। वह दोहा में मध्यस्थों के कार्यालयों से थोड़ी ही दूर पर रह रहे हैं।

इस बीच इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने हमास नेता के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने शांति वार्ता में गतिरोध के लिए हमास को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि इजराइल वार्ता के लिए प्रतिनिधि भेजेगा। अखबार के अनुसार, हमास के इस शांति वार्ता में हिस्सा न लेने के फैसले से अब यह तय नहीं है कि बैठक में मिस्र, इज़राइल और संयुक्त राज्य अमेरिका के शीर्ष खुफिया अधिकारियों के साथ-साथ कतर के प्रधानमंत्री शामिल होंगे या नहीं।

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