ढाका। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ले ली है। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन द्वारा शपथ दिलाए जाने के बाद यूनुस ने कहा कि मैं संविधान की रक्षा करूंगा, उसका समर्थन करूंगा और उसका संरक्षण करूंगा। उनके मंत्रिमंडल के एक दर्जन से अधिक सदस्य, जिन्हें मंत्री नहीं बल्कि सलाहकार का पद दिया गया है….सभी ने शपथ ली।
यूनुस को मंगलवार को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन द्वारा संसद भंग किए जाने के बाद अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया था। इससे पहले, नौकरियों में आरक्षण प्रणाली के खिलाफ व्यापक प्रदर्शनों के बीच शेख हसीना सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर चली गई थीं। यूनुस (84) को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने राष्ट्रपति भवन ‘बंगभवन’ में आयोजित एक समारोह में पद की शपथ दिलाई।
यूनुस की सहायता के लिए 16 सदस्यीय सलाहकार परिषद की घोषणा की गई। छात्र आंदोलन के दो प्रमुख आयोजक मोहम्मद नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद भी सलाहकार परिषद का हिस्सा हैं। महिला अधिकार कार्यकर्ता फरीदा अख्तर, दक्षिणपंथी पार्टी हिफाजत-ए-इस्लाम के उप प्रमुख एएफएम खालिद हुसैन, ग्रामीण दूरसंचार ट्रस्टी नूरजहां बेगम, स्वतंत्रता सेनानी शर्मीन मुर्शिद, चटगांव हिल ट्रैक्ट्स डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष सुप्रदीप चकमा, प्रोफेसर बिधान रंजन रॉय और पूर्व विदेश सचिव तौहीद हुसैन सलाहकार परिषद के सदस्यों में शामिल हैं। यूनुस को मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ दिलाई गई जो प्रधानमंत्री के समकक्ष पद है।
समारोह में राजनीतिक दलों के नेता, न्यायाधीश, विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि, तीनों सेनाओं के प्रमुख, पुलिस महानिरीक्षक, वरिष्ठ सैन्य एवं असैन्य अधिकारी, राजनयिक, स्वतंत्रता सेनानी, वरिष्ठ पत्रकार एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। रॉय, चकमा और फारुक-ए-आजम शपथ नहीं ले सके क्योंकि वे ढाका से बाहर थे।
अंतरिम सरकार एक निश्चित अवधि के लिए देश का नेतृत्व करेगी और निर्वाचित सरकार को सत्ता हस्तांतरित करने के लिए चुनाव की देखरेख करेगी। शपथ लेने से पहले यूनुस ने एक ऐसी सरकार देने का वादा किया था जो अपने नागरिकों को सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। उन्होंने बांग्लादेश के पुनर्निर्माण में उनकी मदद करने का भी आग्रह किया। साथ ही शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने को देश के लिए ‘‘दूसरी स्वतंत्रता’’ करार दिया। ओलंपिक खेलों के लिए पेरिस गए यूनुस बृहस्पतिवार को दुबई से होते हुए अमीरात की उड़ान से स्वदेश लौटे। सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां, वरिष्ठ अधिकारियों, छात्र नेताओं और नागरिक संस्थाओं के सदस्यों ने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया।
अपने आगमन के बाद ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर संवाददाता सम्मेलन में यूनुस ने बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन को “दूसरी आजादी” बताया। उन्होंने कहा, “आज हमारे लिए गर्व का दिन है। हमें दूसरी बार स्वतंत्रता मिली है। हमें इस स्वतंत्रता की रक्षा करनी होगी।” यूनुस ने उन युवाओं के प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने हसीना के खिलाफ आंदोलन को सफल बनाया। उन्होंने कहा कि उनका पहला कार्य अराजक गतिविधियों और अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों को नियंत्रित करते हुए कानून-व्यवस्था को बहाल करना होगा। उन्होंने इन घटनाओं को “एक साजिश का हिस्सा” बताया। यूनुस ने सभी वर्गों के लोगों से उनकी बात सुनने का आग्रह किया और छात्रों तथा युवाओं की मांग पर अंतरिम सरकार की कमान संभालने पर सहमति जताई।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें ऐसी सरकार बनानी है जो अपने नागरिकों को सुरक्षा का आश्वासन दे। यूनुस ने नागरिकों से देश को विरोध प्रदर्शनों के दौरान पैदा हुई अराजकता से बचाने के लिए कहा। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आपको मुझ पर भरोसा है, तो आप सुनिश्चित करें कि देश में कहीं भी किसी पर कोई हमला न हो। यह हमारी पहली जिम्मेदारी है।’’ यूनुस ने कहा, ‘‘यदि मैं ऐसा नहीं कर सकता और आप मेरी बात नहीं सुनते, तो यहां मेरी कोई उपयोगिता नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि देश अब युवाओं के हाथ में है। उन्होंने कहा, ‘‘देश अब आपके हाथों में है। अब आपको अपनी आकांक्षाओं के अनुसार इसका पुनर्निर्माण करना है। आपको देश के निर्माण के लिए अपनी रचनात्मकता का उपयोग करना होगा। आपने देश के लिए आजादी हासिल की है।’’ यूनुस ने अबू सईद को भी श्रद्धांजलि दी, जो भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान पुलिस गोलीबारी में मारे गए शुरुआती लोगों में से एक थे। सेना प्रमुख, जिन्होंने सबसे पहले अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की थी, ने सरकार के संभावित कार्यकाल का खुलासा नहीं किया। जनरल जमां ने उम्मीद व्यक्त की कि तीन से चार दिन के भीतर सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी, क्योंकि देशभर में स्थिति में काफी सुधार हो रहा है।
कौन हैं मोहम्मद यूनुस?
यूनुस ने गांव में रहने वाले गरीबों को 100 डॉलर से कम के छोटे-छोटे कर्ज दिलाकर लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की थी। उनके कर्ज देने के इस मॉडल ने दुनिया भर में ऐसी कई योजनाओं को प्रेरित किया…इसमें अमेरिका जैसे विकसित देश भी शामिल हैं। 1980 के दशक के शुरुआती सालों में प्रोफ़ेसर यूनुस सफल रहे और फिर बाद में ग्रामीण बैंक की स्थापना हुई। इस बैंक में सदस्य के तौर पर हज़ारों लोग जुड़े। बैंक ने बांग्लादेश में लाभदायक और गैर लाभकारी दोनों तरह के प्रोजेक्ट शुरू किए। इसके बाद यूनुस ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्हें उनके काम के लिए 2006 में नोबेल पुरस्कार मिला। 84 वर्षीय यूनुस जैसे-जैसे सफल होते गए उनका झुकाव राजनीति में करियर बनाने की ओर बढ़ता चला गया। उन्होंने 2007 में अपनी खुद की पार्टी भी बनाने की कोशिश की। लेकिन, जब उनकी इस महत्वाकांक्षा ने बड़ा रूप लेना शुरू किया तब शेख हसीना नाराज हो गईं।