नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनरत किसानों की मांगों का समाधान तलाशने के लिए उनसे बातचीत करने के वास्ते प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक स्वतंत्र समिति गठित करने का बुधवार को प्रस्ताव दिया और कहा कि किसानों तथा सरकार के बीच विश्वास की कमी है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि एक ‘‘तटस्थ अंपायर’’ की आवश्यकता है जो किसानों तथा सरकार के बीच विश्वास पैदा कर सके। पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां भी शामिल रहे।
पीठ ने कहा, ‘‘आपको किसानों से बातचीत करने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे। अन्यथा वे दिल्ली क्यों आएंगे? आप यहां से मंत्रियों को भेज रहे हैं और उनके नेक इरादों के बावजूद विश्वास की कमी है।’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘एक सप्ताह के अंदर उचित निर्देश दिए जाएं। तब तक शंभू बॉर्डर पर स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए सभी पक्षकारों को प्रदर्शन स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने दें।’’
शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही है। उच्च न्यायालय ने उसे उसे अंबाला के पास शंभू बॉर्डर पर एक सप्ताह के भीतर अवरोधक हटाने के लिए कहा था, जहां किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं।