सर्वोच्च न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक : गरिमा दसौनी

देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक बताया। दसौनी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आज के फैसले से देश की न्याय प्रणाली के प्रति अगाध विश्वास और प्रगाढ़ हो गया , सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को सदियों तक याद किया जाएगा।करोड़ों करोड़ हिंदुस्तानियों की भावनाओं को आहत करने वाला उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार का तुगलकी फरमान मुंह के बल गिर गया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद जिस तरह से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया था वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण था। दसौनी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने बता दिया कि भारत देश संविधान और कानून से चलेगा सरकारों को देश के सामाजिक ताने-बाने और समरसता के साथ खिलवाड़ का अधिकार नहीं दिया जाएगा ।
दसोनी ने कहा कि यह देश सर्वधर्म समभाव का देश है, यह देश वसुधैव कुटुंबकम का देश है, यह देश भाईचारे का देश है, इसके सामाजिक ताने-बाने के साथ छेड़खानी का प्रयास भी पाप है।
दसौनी ने कहा कि कुछ कुत्सित और संकीर्ण मानसिकता के लोगों के द्वारा देश की गंगा-जमुना तहजीब को नष्ट करने का प्रयास था,हमारे देश में ऐसी विभाजनकारी सोच का बहिष्कार होना बहुत जरूरी था।
गरिमा ने कहा कि हमारा संविधान इस बात की गारंटी हर नागरिक को देता है कि उसके साथ धर्म जाती या भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं होगा। भारतीय जनता पार्टी की सरकारें लगातार हमारे देश की एकता और अखंडता पर चोट करने के साथ ही हमारे लोकतंत्र और संविधान को भी गहरा आघात पहुंचा रही हैं। दसौनी ने कहा कि कांवड़ यात्रा महादेव शिव शंकर को उत्तराखंड से ले जाए गए गंगाजल से स्नान के लिए होता है, लेकिन कुछ धर्म के स्वयं भू ठेकेदार भोलेनाथ के विराट स्वरूप को समझ ही नहीं पाए। क्या गरीब के पेट पर लात मारने वाले ऐसे आदेश से महादेव कभी प्रसन्न होंगे?
दसौनी ने पूछा क्या बादाम , अखरोट तथा खजूर इत्यादि पर भी लिखवा दिया जाए हिंदू या मुसलमान?
क्या फ़िरोज़ाबाद की चूड़ियों पर भी लिखा जाएगा हिंदू या मुसलमान ?
क्या बनारस की साड़ी और भदोही के क़ालीन पर भी लिखा जाएगा हिंदू या मुसलमान ?
क्या नाई , गेराज , टेलर इत्यादि के दुकान पर भी लिखना होगा हिंदू या मुसलमान ?
मटन , चिकन , कवाब और बिरयानी किससे ख़रीदे जाएंगे ?
वैसे दुकान तथा ठेले पर नाम और धर्म लिखने का शिगूफ़ा इसलिए छोड़ा गया है की सब लोग इसी में उलझ जाएं और महंगाई , बेरोज़गारी , आत्महत्या, बलात्कार , अपराध , भ्रष्टाचार , चीन का लंका , बर्बाद अर्थव्यवस्था तथा अर्थनीति , संघ और भाजपा सरकार की अयोग्यता तथा नाकामी और उनके विवाद पर सवाल तथा चर्चा बंद कर दे।

 

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