यह तो तुगलकी फरमान है: गरिमा दसौनी

देहरादून। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद जिस तरह से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया है, उस पर उत्तराखंड की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। दसोनी ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि उत्तराखंड सरकार ने यह निर्णय उत्तर प्रदेश के बाद लिया जिसमें भोजनालयों और रेहड़ी पटरी के मालिकों के नाम लिखा जाना मैंडेटरी कर दिया गया है। निर्देश के अनुसार, प्रत्येक खाद्य दुकान या ठेले के मालिक को मालिक का नाम बोर्ड पर लिखना होगा।

दसौनी ने कहा कि यह उत्तराखंड की गंगा-जमुना तहजीब को नष्ट करने का प्रयास है,प्रदेश की सामाजिक समरसता को चोट पहुंचाने वाला कदम है।हमारे देश में ऐसी विभाजनकारी सोच का बहिष्कार होना चाहिए।
दसौनी ने कहा कि यह समाज में भाईचारे की भावना को बिगाड़ने की कोशिश हैं, लोगों के बीच दूरियां पैदा करने का प्रयास हैं। दसौनी ने कहा कि हमारा संविधान इस बात की गारंटी हर नागरिक को देता है कि उसके साथ धर्म जाती या भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं होगा। भारतीय जनता पार्टी की सरकारें लगातार हमारे देश की एकता और अखंडता पर चोट करने के साथ ही हमारे लोकतंत्र और संविधान को भी गहरा आघात पहुंचा रही है। दसौनी ने कहा की कानून व्यवस्था का हवाला देकर इस तरह का आदेश जारी किया गया है क्या देश में कावड़ यात्रा पहली बार हो रही है? क्या भाजपा की सरकारों से कानून व्यवस्था संभाली नहीं जा रही है? सालों साल से कावड़ यात्रा होती आई है कभी भी किसी भी सरकार को दिक्कतें नहीं आई। दसौनी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार केवल नफरत फैलाना जानती है तोड़ना जानती है जोड़ना नहीं। दसौनी ने कहा की कावड़ यात्रा महादेव को उत्तराखंड से ले जाए गए गंगाजल से स्नान के लिए होता है, लेकिन कुछ धर्म के स्वयं भू ठेकेदार भोलेनाथ के विराट स्वरूप को समझ ही नहीं पाए। क्या गरीब के पेट पर लात मारने वाले ऐसे आदेश से महादेव कभी प्रसन्न होंगे?दसौनी ने कहा कि ईश्वर ना करें यदि कोई कांवड़िया यात्रा के दौरान गंभीर रूप से जख्मी हो जाए तो क्या अस्पताल में किसी मुसलमान डॉक्टर से इलाज नहीं कराएगा ?किसी मुसलमान का दिया हुआ खून नहीं चढ़ाएगा?
दसौनी ने कहा कि आज देश के छे बड़े मीट एक्सपोर्टर में से चार हिंदू हैं तो क्या उनको भी बिरादरी से बाहर किया जाएगा?
दसौनी ने पूछा क्या बादाम , अखरोट तथा खजूर इत्यादि पर भी लिखवा दिया जाए हिंदू या मुसलमान?
क्या फ़िरोज़ाबाद की चूड़ियों पर भी लिखा जाएगा हिंदू या मुसलमान ?
क्या बनारस की साड़ी और भदोही के क़ालीन पर भी लिखा जाएगा हिंदू या मुसलमान ?
क्या नाई , गेराज , टेलर इत्यादि के दुकान पर भी लिखना होगा हिंदू या मुसलमान ?
मटन , चिकन , कवाब और बिरयानी किससे ख़रीदे जाएंगे ?

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