रुद्रप्रयाग। ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर रुद्रप्रयाग के निकट नरकोटा में निर्माणाधीन उत्तराखंड के पहले सिग्नेचर ब्रिज का एक छोर गुरुवार को अचानक धराशाही हो गया है। इससे मौके पर हड़कंप मच गया। गनीमत थी कि जिस समय पुल गिरा, उस समय कोई भी मजदूर कार्य नहीं कर रहा था। ऐसे में बड़ा हादसा टल गया। जिलाधिकारी ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं।
दरअसल, ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर रुद्रप्रयाग के निकट नरकोटा में ऑल वेदर परियोजना के तहत लगभग 66 करोड़ की लागत से 110 मीटर लंबाई वाले सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है। उत्तराखंड का नरकोटा में यह पहला सिग्नेचर ब्रिज बन रहा है। 2021 से इस पुल का निर्माण कार्य चल रहा है। 2022 में भी पुल का बेस गिर गया था और हादसे में तीन मजदूरों की मौत हो गई थी।
इसके बाद पुल निर्माण कार्य ने तेजी पकड़ी और इस वर्ष मई माह तक पुल का निर्माण कार्य पूर्ण होना था, लेकिन नहीं हो पाया। पुल का निर्माण कार्य लगातार चल रहा था। गुरुवार दोपहर अचानक पुल के एक छोर का टॉवर धराशाई हो गया। हादसे के समय कोई भी मजदूर पुल पर कार्य नहीं कर रहा था। पुल निर्माण के लिए रेल विकास निगम ने रुपये दिए हैं, क्योंकि जहां पहले बद्रीनाथ हाईवे था वहां पर रेलवे की टनल बन रही है। टनल के स्थान पर रेलवे इस पुल का निर्माण करवा रहा है। रेलवे ने राष्ट्रीय राजमार्ग खंड श्रीनगर को यह कार्य दिया था और एनएच ने आरसीसी नामक कार्यदायी संस्था को पुल का कार्य सौंपा था। उत्तराखंड में बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर यह पहला घुमावदार पुल बन रहा था।
उप जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग आशीष घिल्डियाल ने बताया कि पुल का निरीक्षण किया गया है। जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। कमेटी पता लगाएगी कि किन कारणों से पुल ध्वस्त हुआ है।
कार्यदायी संस्था आरसीसी को ब्लैक लिस्टेड किए जाने की मांग
जिला पंचायत सदस्य नरेंद्र बिष्ट एवं उप प्रधान नरकोटा कुलदीप जोशी ने कहा कि आरसीसी कंपनी की ओर से सिग्नेचर पुल का निर्माण कार्य किया जा रहा है। जब से इस पुल का निर्माण शुरू हुआ है, तब से ही इसके कार्य पर सवाल खड़े हुए हैं। शुरुआत में पुल के बेसमेंट निर्माण के दौरान भी बड़ा हादसा हुआ। उसके बाद भी कंपनी ने सबक नहीं लिया। इसके अलावा जहां-जहां आरसीसी कंपनी ने पुलों का निर्माण किया, वहां हादसे हुए हैं। कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया जाना चाहिए।