डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से एटा को जोड़ने वाले नेशनल हाइवे 34 पर सिकन्द्राराऊ क़स्बे से क़रीब चार किलोमीटर दूर है फुलराई गांव ।इसी गांव की सैकड़ों बीघा ज़मीन में नारायण साकार उर्फ भोले बाबा के प्रवचनों के लिए टेंट लगाया गया था।निर्धारित समय पर प्रवचन शुरू हुआ और जब बाबा प्रवचन करके जाने लगे तो उनकी चरण रज पाने के लिए अचानक उनकी तरफ भीड़ उमड़ पड़ी।दोपहर ढाई बजे भीड़ के बीच मची भगदड़ में बच्चे, महिला,बुजुर्ग व युवा भी एक दूसरे के नीचे दबकर कुचले जाते रहे और देखते ही देखते 122 बाबा भक्तों की जान चली गई जबकि बाबा भीड़ में कुचले अपने भक्तों की जान बचाने के बजाए बेरहमी के साथ वहां से भाग निकले और अभी तक फरार है।इस हादसे में अधिकतर लोगों की मौत, आयोजन स्थल के उस पार हाइवे किनारे हुई है।चश्मदीदों के मुताबिक़, जो इस भगदड़ में गिरा वो उठ नहीं सका। दिन में हुई बारिश की वजह से भी मिट्टी गीली थी और फिसलन थी, इससे भी हालात और मुश्किल होते चले गए।प्रवचन स्थल पर
नारायण साकार विश्व हरि उर्फ़ ‘भोले बाबा’ के निकलने के लिए अलग से रास्ता बनाया गया था। बहुत सी महिलाएं बाबा के क़रीब से दर्शन पाने के लिए खड़ी थीं।जैसे ही सत्संग समाप्त हुआ, हाइवे पर भीड़ बढ़ गई,नारायण साकार जब अपने वाहन की तरफ़ जा रहे थे, उसी समय भगदड़ मची।नारायण साकार के भक्त जब भगदड़ में फँसे थे, वो वहां रुके बिना बाबा आगे बढ़ गए। घायलों को आनन-फानन में सिकनद्राराऊ सीएचसी ले जाया गया। सीएचसी के ट्रामा सेंटर के आंगन में लाशों का ढेर लग गया था।
हाथरस में पत्रकारिता कर रहे बीएन शर्मा बताते हैं, “मैं चार बजे यहां पहुंचा. हर जगह लाशें पड़ी हुई थीं। एक लड़की की सांस चल रही थी। उसे इलाज नहीं मिल सका और मेरे सामने ही उसने दम तोड़ दिया।”
सिकन्द्राराऊ का यह सबसे बड़ा अस्पताल है लेकिन इसकी क्षमता इतनी बड़ी संख्या में हताहतों को संभालने के लिए काफ़ी नहीं थी।नारायण साकार के सत्संग में आने वाले अधिकतर लोग कमज़ोर आर्थिक वर्ग और पिछड़ी जातियों से हैं।एक दूसरे के संपर्क में आने से ये अपने आप को बाक़ी सत्संगियों के क़रीब पाते हैं और जीवन में आ रही चुनौतियों के समाधान के लिए नारायण साकार का सहारा लेते हैं।नारायण साकार हाथरस में पिछले कुछ सालों में कई बार सत्संग कर चुके हैं और हर बार पिछली बार से अधिक भीड़ होती है जो इस बात का इशारा है कि सत्संग से जुड़ने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। “बाबा के सत्संग में मीडिया की एंट्री नहीं होती है, वीडियो बनाने पर रोक रहती है।”
सत्संग स्थल की साफ़-सफ़ाई भक्तगण ख़ुद करते हैं और बाक़ी ज़िम्मेदारियां भी स्वयं ही संभालते हैं। भीड़ के प्रबंधन से लेकर ट्रैफिक के प्रबंधन तक का काम सत्संगियों के ही जिम्मे होता है।
नारायण साकार की सुरक्षा में सत्संगियों का भारी दस्ता रहता है जो उनके इर्द-गिर्द चलता है, जिसकी वजह से नारायण साकार के क़रीब तक पहुंचना मुश्किल है।
सत्संग के दौरान बाबा के पैरों और शरीर को धोने वाले जल जिसे ये भक्त चरणामृत कहते है, इस चरणामृत को लेने की होड़ भी भक्तों में मची रहती है।भक्त बाबा के चरणों की धूल को आशीर्वाद समझते हैं और बाबा जहां से गुज़रते हैं, वहां की मिट्टी को उठाकर ले जाते हैं। जब भगदड़ मची, बहुत सी महिलाएं इसी धूल को उठाने के लिए नीचे झुकी हुईं थीं। यही वजह है कि जब भगदड़ मची, बहुत से लोगों को उठने का मौक़ा ही नहीं मिल पाया।हाथरस हादसे को लेकर प्रशासन की ओर से जारी सूची के मुताबिक मरने वालों में ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. इनमें से कई लोगों की पहचान नहीं हो पाई है।
हाथरस भगदड़ में अब तक 122 की मौत हो चुकी है। उत्तर प्रदेश के हाथरस में बाबा भोले के सत्संग में मची भगदड़ के बाद अब अस्पताल में अपनों की तलाश में लोग भटक रहे हैं। हादसे में घायल और मृतकों को अलग-अलग अस्पताल में ले जाया गया है।ऐसे में उनकी तलाश और बढ़ गई है। इस हादसे में मरने वालों की संख्या 122 तक पहुंच गई है। इनमें से कईयों की अब तक पहचान नहीं हो पाई है।इसके लिए प्रशासन की ओर मृतकों की सूची जारी की गई है। डीजीपी प्रशांत कुमार भी घटना स्थल पर पहुंचे और हालात का जायज़ा लिया।डीजीपी ने कहा कि इस मामले में जांच की जा रही है। साथ ही एफआईआर दर्ज कराई जा रही है। जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई होगी।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व मुख्य सचिव ने भी घटना स्थल का दौरा किया व घायलों से मिले।उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतको के परिजनों को 2 -2 लाख रुपये व घायलों को 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की है।
राहत आयुक्त कार्यालय के मुताबिक मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं हैं। अधिकांश अनुयायियों की मौत दम घुटने के कारण हुई। हाल के वर्षों में हुई यह सबसे बड़ी त्रासदी है।
कुछ लोगों का कहना है कि लोग प्रवचनकर्ता की कार के पीछे भागते समय कीचड़ में फिसल गए, जिससे भगदड़ मच गई।
हाथरस जिले के फुलरई गांव में बाबा नारायण हरि द्वारा आयोजित सत्संग में शामिल होने के लिए लाखों अनुयायी पहुंचे हुए थे।बाबा नारायण हरि, साकार विश्व हरि भोले बाबा के नाम से चर्चित हैं।
अधिकारियों ने बताया कि मृतकों की पहचान करने के प्रयास जारी हैं और लोगों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं।हाथरस के सिंकदराराऊ ट्रॉमा सेंटर के बाहर दिल दहला देने वाला मंजर था। भगदड़ में जान गंवाने वालों और बेहोश लोगों को एंबुलेंस में भरकर लाया गया, एंबुलेंस कम पड़ गईं तो लोग शवों को कार में भरकर अस्पताल लाने लगे, कार कम पड़ गई तो ऑटो में घायलों और दम तोड़ चुके लोगों को लाया जाने लगा। ऑटो कम पड़ गया तो टैंपों में भरकर उन लोगों को अस्पताल लाया गया।सत्संग कराने वाला बाबा जो खुद को नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा कहता है, वो अंडरग्राउंड है। उसका कुछ पता नहीं चला है। देर रात यूपी पुलिस ने ‘भोले बाबा’ की तलाश में मैनपुरी जिले के राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट में सर्च ऑपरेशन चलाया. वहीं आईजी शलभ माथुर ने कहा कि सत्संग आयोजकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि घटना का दोषी कोई भी हो, वो बचेगा नहीं, उस पर कठोर कार्रवाई होगी।सत्संग में करीब 1 से डेढ़ लाख लोग शामिल हुए थे। करीब 50 से 60 बीघा खेत में पंडाल लगाया गया था। सत्संग खत्म होने के बाद लोग अचानक बाहर की ओर निकले, लेकिन एग्जिट गेट बेहद संकरा था और रास्ते में नाला था। आसपास कीचड़ थी। इसी दौरान भगदड़ मची और लोग एक के ऊपर एक नाले में गिर गए और वहां करीब डेढ़-2 घंटे तक दबे रहे।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि खेत में सत्संग का पंडाल लगा हुआ था। सत्संग का समापन होने के बाद गुरुजी की कार निकली। उनके चरण छूने के लिए लोग दौड़ पड़े और भगदड़ मच गई। कई लोग एक के ऊपर एक गिरते गए।साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल सिंह है। बाबा कासगंज के पटयाली के रहने वाले हैं। करीब 17 साल पहले पुलिस कांस्टेबल की नौकरी छोड़कर सत्संग करने लगे। नौकरी छोड़ने के बाद सूरज पाल नाम बदलकर साकार हरि बन गए। अनुयायी उन्हें भोले बाबा कहते हैं।सत्संग में लोगों से बाबा कहते हैं कि मानव की सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है। सत्संग में आने से रोग मिट जाते हैं, मन शुद्ध होता है, यहां पर कोई भेदभाव नहीं, कोई दान नहीं और कोई पाखंड नहीं। दावा करते हैं यहीं सर्व समभाव है यहीं ब्रह्मलोक है, यहीं स्वर्ग लोक है। वह महंगे गॉगल, सफेद पैंटशर्ट पहनते हैं। अपने प्रवचनों में बाबा पाखंड का विरोध भी करते हैं। चूंकि बाबा के शिष्यों में बड़ी संख्या में समाज के हाशिए वाले, गरीब, दलित आदि शामिल हैं। उन्हें बाबा का पहनावा और यह रूप बड़ा लुभाता है।भोले बाबा का आश्रम कासगंज जिले के पटियाली तहसील क्षेत्र के बहादुरनगर गांव में मौजूद है। यह उनका पैतृक गांव भी है। भोलेबाबा का बहादुर नगर में बड़ा आश्रम बना है।हादसे के बाद सब परते खुल रही है,लेकिन इससे पहले किसी ने बाबा के अतीत में झांकने की कौशिश नही की।(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)