1. दुहाई राम जी दुहाई!
राम जी ये आपने बिल्कुल भी ठीक नहीं किया। बताइए, अपनी नगरी में ही अपने ध्वजाधारियों को हरवा दिया। बात सिर्फ किसी लल्लू सिंह की हार-जीत की होती, तो चलो आपकी दिल्लगी समझ कर दिल को समझा भी लेते। पर खुद मोदी जी का फोटो हर जगह मैदान में था, आपने फिर भी हरवा दिया। आप को पता भी है, लोग क्या कह रहे हैं? कह रहे हैं — अयोध्या तो झांकी है, अभी मथुरा, काशी बाकी है!
राम जी आपने भी हद्द कर दी, कैसे अपोजीशन वालों के पाले में ही जाकर खड़े हो गए? बताइए, चार सौ पार तो क्या होते, आपने तो तीन सौ पार के भी लाले पड़वा दिए। सिंहासन छोड़िए, कुर्सी तक पहुंचना मुश्किल करा दिया। खुद ही सोचिए, अब की बार, नायडू, नीतीश पर दारोमदार! आपको भी खूब मजाक करने की सूझी? नहीं क्या! पर अचानक हुआ क्या? कोई नाराजगी थी, कुछ बुरा लगा था, तो पहले ही बता देते। आप कोई विपक्ष वाले थोड़े ही थे कि आप की सुनी नहीं जाती। आप बेरोजगार नौजवान भी नहीं थे। आप कोई अग्निवीर भी नहीं थे। किसान भी नहीं थे। मैले कपड़े वाले मजदूर-वजदूर होने का तो सवाल ही कहां उठता था। दलित-वलित भी नहीं। महिला पहलवान भी नहीं। आप की कैसे नहीं सुनी जाती? एक बार कहकर तो देखते। मोदी जी कुछ न कुछ कर के और कुछ न होता, तो कोई स्मारक वगैरह बनवा कर, आपको संतुष्ट कर ही देते। सच पूछिए, तो इसीलिए तो अयोध्या में आपका भव्य मंदिर बनवाया था। कुछ और चाहिए था, वह भी मांग लेते, अडानी जी-अंबानी जी से बात कर के, मोदी जी कुछ न कुछ जुगाड़ कर ही देते। घर की बात घर में रह जाती। आपने तो घर की हांडी चौराहे पर लाकर फोड़ दी। भला अपने झंडाबरदारों के साथ ऐसा भी कोई करता है?
कोई कह रहा है कि आप तो उंगली पकड़ाकर लाए जाने की बात का बुरा मान गए। तो कोई कह रहा है कि मोदी जी के सीधे परमात्मा का दूत होने से आप कंपटीशन मान बैठे। और कोई कह रहा है कि आप भी लेफ्टिस्टों की बातों में आ गए हैं। जो भी हो, यह तो बचपना है। अयोध्या में बालरूप में आये हैं, तो क्या सचमुच बचपना करेंगे? और कब तक? ग्रो अप मैन!
2. पेपर लीक की गारंटी
विरोधियों की ये क्या बात हुई। खामखां में नीट की परीक्षा में गड़बडि़यों का इतना शोर मचा दिया। उस पर तुर्रा ये कि ये एक परीक्षा में ही गड़बड़ी का मामला नहीं है। डबल इंजनिया राज में‚ न जाने कैसे हरेक परीक्षा में पेपर लीक हो जाता है! सिंपल है। पेपर लीक की गारंटी है। अब प्लीज यह बचकाना सवाल कोई न उठाए कि मोदी की गारंटियों में पेपर लीक की गारंटी तो थी ही नहीं।
पेपर लीक तो था कि नहीं‚ गारंटियों के भी पहले से। यूपी में पुलिस भर्ती पेपर लीक‚ लेखपाल भर्ती पेपर लीक‚ वगैरह‚ वगैरह। छूट गई होगी पेपर लीक की गारंटी‚ चुनाव की हड़बड़ी में। पेपर लीक की गारंटी भी नहीं दी‚ फिर भी गारंटी कर रहे हैं‚ यही तो मोदी की गारंटी है। जो नहीं भी दी हैं‚ वो गारंटियां भी पूरी करने की गारंटी! फिर भी पता नहीं, क्यों पब्लिक ने अब की दिल्ली वाले इंजन के नीचे बैसाखियों के जैक लगवा दिए।
खैर! नीट में तो पेपर लीक की बात ही गलत है। शिक्षा मंत्री ने साफ–साफ कह दिया है – पेपर लीक का तो कोई सबूत ही नहीं मिला है। सबूत नहीं‚ तो पेपर लीक कैसेॽ क्या हुआ कि गुजरात के किसी परीक्षा केंद्र से दूर–दूर से जाकर बच्चों के परीक्षा देने की और तीस–तीस लाख रुपए में अच्छे रैंक से पास कराने की गारंटी की खबरें आई हैं। क्या हुआ कि हरियाणा में किसी परीक्षा केंद्र से आधे दर्जन बच्चों के सौ फीसद नंबर लेकर टॉप करने की खबरें आई हैं। क्या हुआ कि बिहार से पर्चा ज्यों का त्यों एक दिन पहले मिल जाने की खबरें आई हैं। क्या हुआ कि सोलह सौ बच्चों को ग्रेस मार्क्स दिए जाने की बात मानी गई और वह भी दो–चार नंबर नहीं‚ सैकड़ों तक। क्या हुआ 67 बच्चों को पूरे में पूरे नंबर इसके बावजूद मिले हैं कि पूरे नंबर मिलना नामुमकिन है। पर यह सब तो कुछ परीक्षार्थियों को अच्छे नंबर दिलाने की गारंटी की बात हुई। गारंटियों के इस जमाने में‚ ऐसी छोटी–मोटी गारंटियां तो कोचिंग इंस्टीटूट वाले दे ही सकते हैं। फॉलो योर पीएम!
पर बाकी कुछ भी हो‚ इसमें पेपर लीक का सबूत कहां हैॽ अब पेपर लीक की जांच भी सरकार ही कराएगी‚ तो गड़बड़ी की शिकायत करने वाले क्या करेंगे ; मोदी जी की सरकार को बदनाम करने का षड्यंत्र!