चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सोमवार को निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी करने का आदेश दिया, जिसमें धर्म, जाति और भाषा के नाम पर वोट मांगने के ‘‘भ्रष्ट’’ आचरण पर अंकुश लगाने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का एक स्वतंत्र आयोग नियुक्त करने का अनुरोध किया गया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आर. महादेवन और न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीक की खंडपीठ ने अधिवक्ता राजेश महिमीदास द्वारा दायर जनहित याचिका पर आगे की सुनवाई छह सप्ताह बाद के लिए निर्धारित की। याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय के 2017 के उस फैसले के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र आयोग नियुक्त करने की मांग की, जिसमें कहा गया था कि धर्म, जाति और भाषा के नाम पर वोट मांगना एक भ्रष्ट आचरण है।
अपनी याचिका में महिमीदास ने संविधान की प्रस्तावना और मूल ढांचे, उच्चतम न्यायालय के 2017 के फैसले और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 (3) के तहत भ्रष्ट आचरण के बारे में लोगों और जनप्रतिनिधियों को जानकारी प्रसारित करने के लिए एक प्रणाली तैयार करने के वास्ते भी निर्वाचन आयोग को निर्देश देने का अनुरोध किया।