रांची। भारत की प्रमुख सीमेंट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी और डालमिया भारत लिमिटेड (डीबीएल) की सहायक कंपनी, डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड (डीसीबीएल) ने कंस्ट्रक्शन की बेहतर प्रथाओं को उजागर करते हुए, रांची में एन्युअल टेक्नोक्रेट्स मीट का आयोजन किया। उम्मीद है कि रांची इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में तेजी से विस्तार करेगा, इसी को ध्यान में रखते हुए उक्त सेशन में प्रमुख इंजीनियर्स और आर्किटेक्ट्स को आमंत्रित किया गया, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चुनौतियों के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में सतत विकल्पों पर अपने विचार व्यक्त किए। भारत का भवन और निर्माण क्षेत्र बहुत अधिक कार्बन उत्सर्जन करता है, जो देश के कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग छठा हिस्सा है। इस चर्चा में पारंपरिक निर्माण विधियों से हटकर नवीन दृष्टिकोण अपनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसका उद्देश्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की वजह से पर्यावरण को होने वाले प्रभावों और नुकसानों को कम करना है। इसमें बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में उच्च ग्रेड कंक्रीट को अपनाना शामिल है, ताकि स्थिरता को बढ़ावा दिया जा सके। उच्च श्रेणी का कंक्रीट अधिक टिकाऊ होता है, जिससे न सिर्फ संरचना का जीवनकाल बढ़ जाता है, बल्कि बार-बार रखरखाव पर ध्यान देने की आवश्यकता भी कम हो जाती है। इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि पार्टिकल साइज़ डिस्ट्रीब्यूशन को अनुकूलित करके और कंक्रीट में बॉन्डिंग को बढ़ाकर, किस तरह कंक्रीट के लिए उच्च और लम्बे समय के लिए मजबूती प्राप्त की जा सकती है, जिसके परिणामस्वरुप सीमेंट के उपयोग और कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके। ये इनोवेटिव सॉल्यूशंस सिर्फ जलवायु परिवर्तन से निपटने में ही मदद नहीं करते हैं, बल्कि हरियाली से परिपूर्ण और अधिक सुदृढ़ वातावरण को भी बढ़ावा देते हैं। उक्त सेशंस में रांची, रामगढ़, लोहरदगा और गुमला के 100 से अधिक प्रतिष्ठित आर्किटेक्ट्स और इंजीनियर्स उपस्थित थे, जिसका नेतृत्व डालमिया सीमेंट की तकनीकी टीम और अधिकारियों ने किया।
इस आयोजन के बारे में विस्तार से बताते हुए हुए कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, “डालमिया सीमेंट में, हम निर्माण क्षेत्र में ‘ग्रे से ग्रीन’ में क्राँति लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो भवन निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर टिकाऊ घटकों को अपनाने पर आधारित है। सीमेंट इंडस्ट्री हमारे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि यह विभिन्न भौतिक संरचनाओं की नींव है। हमारा लक्ष्य वर्ष 2030 तक हमारे सकल घरेलू उत्पाद की कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को 33-35% तक कम करना है। ऐसे में, सीमेंट क्षेत्र की जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, जो कुल कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग 8% का योगदान देता है। इस प्रकार, टिकाऊ निर्माण प्रथाओं को अपनाना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि बड़े पैमाने पर निर्माण के पारिस्थितिक प्रभाव को कम किया जा सके और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ और टिकाऊ समुदाय की स्थापना की जा सके। इस सेशन के माध्यम से, हम प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने में सक्षम रहे हैं कि वे टिकाऊ निर्माण प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से शामिल हों।”
उच्च श्रेणी के कंक्रीट के लिए विशेष टेक्नोलॉजी और कठोर ऑन-साइट गुणवत्ता नियंत्रण की आवश्यकता होती है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से पतली संरचनाओं को तैयार करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग विभिन्न प्रमुख प्रोजेक्ट्स में किया जा चुका है, जिसमें दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) और रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) शामिल हैं। सेशन में उपस्थित लोगों को डालमिया सीमेंट की नवीन उत्पाद की पेशकशों की जानकारी भी दी गई। इसमें आरसीएफ विशेषज्ञता (छत, स्तंभ और नींव) और नैनो बॉन्डिंग टेक्नोलॉजी शामिल है, जो संरचना विशेष की अखंडता, पर्यावरण के अनुकूल निर्माण और मूल्य वर्धित सेवा की पेशकश सुनिश्चित करती है।
स्थिरता के विषय में डालमिया सीमेंट हमेशा से ही अग्रणी रहा है, जो अपनी प्रक्रियाओं और संचालन में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए हरित पहल को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है। डालमिया सीमेंट ‘स्वच्छ व हरित लाभकारी और टिकाऊ’ व्यावसायिक दृष्टिकोण के अनुरूप काय करता है। डालमिया सीमेंट ने 459 किलोग्राम प्रति टन (वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही) कार्बन उत्सर्जन के साथ सीमेंट क्षेत्र में विश्व स्तर पर सबसे कम कार्बन फुटप्रिंट में से एक हासिल किया है। यह पहला सीमेंट ग्रुप है, जो वर्ष 2040 तक पूरी तरह कार्बन नेगेटिव बनने के लिए प्रतिबद्ध है।