हाईकोर्ट के निर्देश पर 4 कैदियों को छोड़ा गया, 28 कल छोड़े जाएंगेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे

नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में आज 14 वर्षों से अधिक समय से प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद कैदियों के मामले में सरकार ने अपना जवाब देते हुए कहा कि 4 कैदियों को छोड़ दिया गया है जबकि 28 कैदियों को कल तक छोड़ दिया जाएगा। सरकार ने न्यायालय को ये भी बताया कि ऐसे एक कैदी की मृत्यु हो चुकी है। अगली सुनवाई 20 अप्रैल के लिए रखी गई है।

न्यायालय में एक सुओ मोटो पी.आई.एल.को सुना गया था, जिसमें प्रदेश की जेलों में 14 वर्षों से अधिक समय से बन्द कैदियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रिहा नहीं करने पर सरकार से सवाल किये गए थे।

मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सरकार से शाम 5 बजे तक निर्णय लेकर शुक्रवार सवेरे न्यायालय को सूचित करने को कहा था। आज सरकार के अधिवक्ता (ए.जी.ए.) जे.एस.विर्क ने न्यायालय को बताया कि 4 कैदियों को गुरुवार को ही रिहा कर दिया गया था जबकि 28 कैदियों को कल तक रिहा कर दिया जाएगा। उन्होंने न्यायालय को ये भी सूचित किया कि ऐसे ही एक कैदी की पूर्व में मृत्यु हो गई है।

पिछले दिनों मुख्य न्यायाधीश ने हल्द्वानी की जिला जेल और सितारगंज की संपूर्णानंद ओपन जेल का दौरा किया था। वहां कैदियों से समस्याएं सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की अवहेलना पाया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की उस दलील को निराधार बताया था कि कैदी को जेल से बाहर रखना समाज के लिए खतरा है।

मुख्य न्यायाधीश ने कैदियों के मानवाधिकार को समझते हुए जेल प्रबंधनों से लिस्ट मांगी थी जिसमें 167 ऐसे कैदी मिले थे। नवनियुक्त गृह सचिव दीपिल जावलकर गुरुवार को जबकि महाधिवक्ता एस.एन.बाबुलकर आज ऑनलाइन मामले में शामिल हुए। सरकार की तरफ से (ए.जी.ए.) जे.एस.विर्क ने जिरह की।

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