कांकेर।वनोपज संग्रहण मजदूर यूनियन का एक 8 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडलन ने कलेक्टर से मिलकर 8 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा है। यूनियन के संरक्षक सुकदेव कोडोपी और संयोजक नजीब कुरेशी ने बताया कि जिला के भारी संख्या में ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के लोग वनोपज संग्रहण कर अपनी आजीविका का निर्वाह करते है।समाज के सबसे आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ इन लोगो का आय का मुख्य साधन वनोपज संग्रहण है।लेकिन सरकार की नीतियां के कारण उनको वनोपज का वाजिब दाम नही मिल रहा है और व्यापारी उनका निर्मम शोषण करता है।
नेताओं ने कहा कि वनोपज खरीदी के लिए सरकार की कोई भी ढांचा नही है।बल्कि सरकार की नीति व्यापारियों को लाभ पहुंचाना ही है।बस्तर संभाग में करोड़ो रूपये का वनोपज व्यापारियों के मुनाफा अर्जन करने के लिए छोड़ दिया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार अपनी वनोपज खरीदी का दर बाजार दर से कम निर्धारित किया गया है ताकि संग्राहक अपनी संग्रहित वनोपज को व्यापारियों को बेच दे।
कलेक्टर में सौंपे गए ज्ञापन में यूनियन ने तेंदू पत्ता के करोड़ों रुपए की बकाया बोनस राशि का तत्काल भुगतान करने का भी मांग किया गया है।वो ही वन विभाग द्वारा हर्रा बेहरा , लाक,चार गुटली,की खरीदी जो साबुत खरीदी न कर तोड़ कर खरीदी करते है जिसके कारण कोई सरकार को बेचने को तैयार नहीं होता है और व्यापारी को औने पौने दाम पर बेच देते है।
ज्ञापन के वनोपज के संरक्षण हेतु कोल्ड स्टोरेज और गोदाम निर्माण करने का भी मांग किया गया है।
नेताओं ने सरकार की नीतियां की आलोचना करते हुए कहा कि वन विभाग स्व सहायता समूह को वनोपज खरीदी करने की जवाबदारी देती है वो ही उनके कमीशन मात्र प्रति क्विंटल 10 रुपए निर्धारित किया है जिसके कारण स्व सहायता समूह की वनोपज खरीदी करने का कोई रुचि नहीं होती।मांग पत्र में संग्राहकों को जल्द भुगतान करने की भी बात रखी गई है।
मांगपत्र पर चर्चा के दौरान कलेक्टर ने सभी मांगों पर तुरंत और उचित कारवाही करने का आश्वासन दिया।
प्रतिनिधिमंडल में सुकदेव कोडोपी,नजीब कुरेशी, सुखरंजन नंदी,रामप्रसाद कुंजाम,पवन कोडोपी,भीमा गोडरा,विमल भास्कर,गणिका साहू,गिरीश मेश्राम,राजेश मातलाम, ओम प्रकाश देवांगन शामिल थे।