टिकट वितरण को लेकर कुछ अलग ही समीकरण पर काम कर रही पार्टी
पार्टी आधे से अधिक सीटों पर चेहरे बदलने की रणनीति पर मंथन कर रही
-राकेश प्रजापति, भोपाल।
विधानसभा चुनाव की तरह भाजपा (BJP) लोकसभा चुनाव में भी चौंका सकती है। टिकट वितरण को लेकर वह अलग रणनीति तैयार कर रही है। पार्टी आधे से अधिक सीटों पर चेहरे बदलने की रणनीति पर मंथन कर रही है। दरअसल, सांसदों की पांच सीटें उनके विधायक बनने से खाली हैं। विधायक बनने की वजह से मुरैना, जबलपुर, दमोह, सीधी और नर्मदापुरम में सांसदों की सीटें खाली हैं। वहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी भोपाल, उज्जैन, ग्वालियर, सतना, मंडला, इंदौर, टीकमगढ़, विदिशा, खंडवा, सागर और भिंड लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election)में भाजपा टिकट बदल सकती है। इस मामले को लेकर भाजपा का कहना है कि चुनाव में पार्टी के सभी चेहरे चमकदार, स्वच्छ छवि और जनता के चहेते चेहरे होंगे। सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को आगे बढ़ाएंगे। भाजपा कयास पर नहीं चलती है, संगठन से चलती है। समय आने पर संगठन निर्णय लेगा। दूसरी ओर, कांग्रेस (Congress) का कहना है कि चेहरे तब बदले जाते हैं, जब चेहरे दागदार हो जाते हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 के शेड्यूल का ऐलान मार्च के पहले सप्ताह तक हो सकता है। भाजपा उससे पहले ही बड़ी संख्या में टिकटों पर फैसला कर लेना चाहती है,ताकि उसके उम्मीदवारों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके। वहीं यूपी, एमपी जैसे बड़े राज्यों में भाजपा फेरबदल भी करने जा रही है और चर्चा है कि बड़ी संख्या में नए चेहरों को ही टिकट दिए जा सकते हैं। मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं और यहां डेढ़ दर्जन से भी ज्यादा सांसदों को हटाकर नए चेहरों को मौका देने की रणनीति बन रही है। पार्टी की ओर से तय प्रभारियों ने अपनी डिटेल रिपोर्ट नेतृत्व को सौंप दी है। इस पर मंथन के बाद ही टिकटों के ऐलान होने शुरू होंगे। माना जा रहा है कि फरवरी के आखिरी सप्ताह से भाजपा अपने उम्मीदवारों के नाम फाइनल करना शुरू कर देगी। पिछले दिनों ही खबर आई थी कि भाजपा नेतृत्व 70 प्लस की उम्र और कमजोर फीडबैक वाले नेताओं को दोबारा मौका नहीं देगा। इस खबर के बाद से ही वे नेता पसोपेश में हैं, जिनकी उम्र अधिक है और रिपोर्ट कार्ड भी पक्ष में नहीं दिख रहा। भाजपा को लगता है कि इसके जरिए एंटी-इनकम्बेंसी की भी काट होगी और नया नेतृत्व भी उभर सकेगा।
छिंदवाड़ा में पूरा जोर
लोकसभा चुनाव में भाजपा का सियासी गणित मध्यप्रदेश में लंबे समय से अनुकूल है। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 27 तो 2019 के चुनाव में 28 सीटें मिली थी। इस बार वह छिंदवाड़ा में भी पूरा जोर लगा रही है। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में उसने नया पैतरा चलते हुए अपने सात सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा था, इनमें छह ने विजय हासिल की। सिर्फ सतना और मंडला में ही उसे हार का सामना करना पड़ा। तय है कि इस बार मुरैना, जबलपुर, दमोह, सीधी, होशंगाबाद में इस बार नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। इसके अलावा सतना सांसद गणेश सिंह और मंडला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को विधानसभा चुनाव हार जाने के कारण टिकट से वंचित कर दिया जाए। वैसे भी भाजपा ने तय किया है कि किसी विशेष परिस्थिति को छोड़कर वह इस बार तीन बार चुनाव जीत चुके नेताओं को टिकट नहीं देगी। उनका उपयोग अब संगठन में किया जाएगा। ऐसे में इन दोनों नेताओं का टिकट कट सकता है। इसके अलावा सात बार के सांसद और केंद्र में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक का टिकट भी खतरे में है। धार से सांसद छतर सिंह दरबार भी इसी क्राइटेरिया में आ रहे हैं।
तीन बार जीते को अब मौका नहीं
केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए तत्पर भाजपा मध्यप्रदेश में मिशन-29 का लक्ष्य लेकर चल रही है। मोदी लहर के चलते पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा का गढ़ बन चुके हृदय प्रदेश में इस बार टिकटों को लेकर भारी मंथन हो रहा है। पार्टी कई पुराने चेहरों को बदलने के मूड में है तो कुछ परम्परागत जीत वाली सीटों पर भी वह नए लोगों को मौका देना चाहती है। प्रदेश भाजपा की चुनाव समिति की बैठक हो चुकी है। जिसमें कुछ सीटों के लिए पैनल बने हैं पर अंतिम फैसला दिल्ली में ही होना है। पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक दिल्ली में बीस फरवरी को होना है। इसमे कुछ नामों पर फैसला ले लिया जाएगा। भाजपा का राष्ट्रीय अधिवेशन 17 और 18 फरवरी को नई दिल्ली में होने जा रहा है। इसमें पार्टी अपने प्रचार अभियान का खुलासा करेगी। हालांकि यह तय है कि इस बार का पूरा चुनाव प्रचार लोकलुभावन योजनाओं और राम मंदिर के इर्द-गिर्द ही घूमना है। राष्ट्रीय अधिवेशन में वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में कोर ग्रुप की बैठक भी होनी है जिसमें पार्टी अपने टिकट वितरण की गाइडलाइन और क्राइटेरिया भी तय करेगी। अयोध्या में रामलला की प्रतिमा स्थापना को मिले अपार समर्थन से उत्साहित भाजपा इस बार चार सौ पार का लक्ष्य लेकर चल रही है। बीस फरवरी को पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक भी प्रस्तावित है।
इन सीटों पर दिखेगा बदलाव
भोपाल, इंदौर, विदिशा, होशंगाबाद, उज्जैन ग्वालियर, इंदौर समेत कई सीटों को भाजपा का गढ़ माना जाता है। इन लोकसभा क्षेत्रों में पिछले दो दशक से कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई है। इनमें भोपाल, विदिशा, ग्वालियर लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशी बदलती रही है। भोपाल में 2014 में पार्टी ने आलोक संजर को मैदान में उतारा था, पर 2019 में प्रज्ञा ठाकुर को प्रत्याशी बनाया गया था। इस बार उन्हें फिर टिकट मिले, इसमें संदेह है। इसी तरह विदिशा में भी रमाकांत भार्गव के टिकट पर भी अनिश्चितता के बादल है। इंदौर सीट पर लंबे समय तक सुमित्रा महाजन जीतती रही है। पिछले चुनाव में पार्टी ने उन्हें विश्राम देकर शंकर लालवानी को मैदान में उतारा था। वे विजयी भी रहे पर इस सीट पर इस बार कई नेता दावेदारी जता रहे है। उज्जैन में 2014 में सांसद रहे चिंतामणि मालवीय का टिकट काट कर अनिल फिरोजिया को मौका दिया गया था। इस बार भी नया चेहरा सामने आ सकता है।