नयी दिल्ली। आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी के सपा गठबंधन छोड़ कर बीजेपी के साथ जाने की अटकलें काफी दिनों से लगाई जा रही थीं। अब यह करीब-करीब कन्फर्म होता जा रहा है कि आरएलडी का भाजपा के साथ गठबंधन होने वाला है। दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने के ऐलान के बाद जो जयंत चौधरी का बयान आया है उससे इस पर मुहर लगती दिख रही है।भारत सरकार ने आज ही पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव और वैज्ञानिक डॉ.एम एस स्वामिनाथन को भी भारत रत्न दिए जाने का ऐलान किया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर एक्स पर पोस्ट किया कि ‘हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है।’
चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने के ऐलान से आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी काफी खुश हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश के कुछ ही मिनटों बाद जयंत चौधरी ने भी एक्स पर लिखा कि ‘दिल जीत लिया!’ उनके इसी पोस्ट से कयास लगाए जा रहे हैं कि अब जयंत चौधरी भाजपा के साथ जाने वाले हैं।
जयंत चौधरी के इस पोस्ट के मायने यह निकाले जा रहे हैं कि जब दिल प्रधानमंत्री मोदी ने जीत लिया है तो फिर अब वह सपा के साथ कैसे रहेंगे? कहा जा रहा है कि भाजपा और आरएलडी में दो सीटों को लेकर सहमति बन भी गई है।
जयंत चौधरी को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव का बयान भी सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि किसी के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता। इस बयान को भी जयंत का भाजपा के साथ जाने का मन बना लेने पर मुहर के तौर पर देखा जा रहा है।
जयंत चौधरी की आरएलडी पश्चिमी यूपी की जाट बहुत एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर प्रभाव रखती है। भाजपा-आरएलडी गठबंधन होने पर भाजपा के लिए इन सीटों पर काफी आसानी हो जाएगी वहीं समाजवादी पार्टी के लिए इन सीटों पर मुश्किल काफी बढ़ जाएगी।