हरिद्वार। पूर्व केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मायानंद ने अपने ऊपर लगे दुष्कर्म के आरोपों से बरी होने के बाद मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने इस षड्यंत्र में कुछ राजनीतिज्ञों के शामिल होने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने हरिद्वार लोकसभा सीट से संतों को टिकट दिए जाने की मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि हरिद्वार की जनता संतों को संतों के ही रूप में देखना चाहती है न की किसी राजनीतिक के रूप में।
प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि उनके ऊपर लगे आरोप में वही राजनीतिज्ञ लोग शामिल थे, जो रामजन्म भूमि आंदोलन को समाप्त करना चाहते थे। उन्होंने कहाकि वहीं लोग रामजन्म भूमि आंदोलन के कारण उनकी बढ़ती लोकप्रिय से इर्ष्या कर रहे थे,लेकिन अब उनके हौसले पस्त हैं।
उन्होंने कहा कि यह देश राम, कृष्ण के साथ खड़ा है और सभी मामलों को मिल बैठकर निपटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों को बदनाम करने के लिए व्यक्तिगत रूप से उन्हें फंसाकर बदनाम करने की कोशिश की गई थी। इसमें आशाराम बापू, प्रणव पंड्या जैसे कई संत शामिल रहे।
स्वामी चिन्मयानंद ने हरिद्वार लोकसभा सीट से किसी संत को टिकट देने की मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि तीर्थनगरी से संत को टिकट देने का प्रयोग पहले भी किया जा चुका है। इसमें एक संत को हरिद्वार से टिकट दिया गया था, लेकिन संत की हार ने यह बात सिद्ध होती है कि हरिद्वार की जनता संत को पॉलिटीशियन के रूप में नहीं देखना चाहती।
श्री रामजन्म भूमि के बाद काशी स्थित ज्ञानवापी मसले पर स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि देश का मुसलमान अपने को आक्रांताओं का वशंज न समझे। वे इसी देश के लोग हैं। उन्होंने कहा कि मथुरा और काशी के मसले पर मिल बैठकर ही हल निकाला जाना चाहिए। उन्होंने उत्तराखंड सरकार क लाये जा रहे सीसीसी कानून का स्वागत किया।