नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने सोमवार को राजनीतिक दलों से कहा कि वे पोस्टर एवं पर्चों सहित प्रचार की किसी भी सामग्री में बच्चों का इस्तेमाल ‘‘किसी भी रूप में’’ न करें।
आयोग ने कहा कि नेताओं और उम्मीदवारों को प्रचार गतिविधियों में बच्चों का इस्तेमाल किसी भी तरीके से नहीं करना चाहिए, चाहे वे बच्चे को गोद में उठा रहे हों या वाहन में या फिर रैलियों में बच्चे को ले जाना हों। आयोग ने एक बयान में कहा, ‘‘किसी भी तरीके से राजनीतिक प्रचार अभियान चलाने के लिए बच्चों के इस्तेमाल पर भी यह प्रतिबंध लागू है, जिसमें कविता, गीत, बोले गए शब्द, राजनीतिक दल या उम्मीदवार के प्रतीक चिह्न का प्रदर्शन शामिल है।’’
आयोग ने कहा कि लेकिन यदि कोई नेता जो किसी भी राजनीतिक दल की चुनाव प्रचार गतिविधि में शामिल नहीं है और कोई बच्चा अपने माता-पिता या अभिभावक के साथ उसके समीप केवल मौजूद होता है तो इस परिस्थिति में यह दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने निर्वाचन आयोग के प्रमुख हितधारकों के रूप में राजनीतिक दलों की महत्वपूर्ण भूमिका पर लगातार जोर दिया है। उन्होंने खासकर, आगामी संसदीय चुनावों के मद्देनजर लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में उनसे सक्रिय भागीदार बनने का आग्रह किया है।
एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार आयोग के इन दिशा-निर्देशों में मुंबई उच्च न्यायालय का चेनत रामलाल भुटाडा बनाम महाराष्ट्र राज्य सरकार एवं अन्य के मामले में 04 अगस्त 2014 के उस आदेश का विशेष रूप से उल्लेख किया है जिसमें राजनीतिक दलों को चुनाव संबंधी कामों में बच्चों को लगाने को कड़ाई से मना किया गया है। आयोग ने सरकारी चुनाव मशीनरी को भी इन निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करने को कहा है और ऐसा न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है।