कर्पूरी ठाकुर के बाद लाल कृष्ण आडवाणी हुए ‘भारत रत्न

डॉ गोपाल नारसन 
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा कर पिछडो को साधने की कौशिश के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्षो से गुमनाम जिंदगी जी रहे अपने राजनीतिक गुरु एवं भाजपा के वरिष्ठतम नेता पूर्व उपप्रधानमंत्री को भारत रत्न देने की घोषणा कर आडवाणी खेमे के खास वर्ग को संतुष्ट करने की कौशिश की है,जिसे 2024 के चुनाव से भी जोड़कर देखा जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से नवाजे जाने की जानकारी स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर करके दी है।
मोदी ने कहा कि उन्हें ये साझा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे बात की और उन्हें बधाई दी। आडवाणी हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक है। लाल कृष्ण आडवाणी की बेटी प्रतिभा ने बताया  कि भारत रत्न दिए जाने की बात सुनकर वह बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि वह देश के प्रति शुक्रगुजार हैं।प्रतिभा ने इस अवसर पर अपनी मां को याद किया, जिनका लालकृष्ण आडवाणी के जीवन में बहुत बड़ा योगदान रहा है।प्रतिभा आडवाणी ने कहा, ‘मैंने जब दादा यानि अपने लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न के बारे में बताया तो वे बहुत खुश हुए, उन्होंने यही बात कही कि उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा में लगाया और देश के शुक्रगुजार हैं।’
’96 वर्षीय लालकृष्ण आडवाणी का  जन्म सन 1927 में पाकिस्तान के कराची में हुआ था। उनका राजनीतिक सफर बेहद दिलचस्प रहा है।सन 1942 में ही  वे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के स्वयंसेवक बन गए थे ।आजादी के बाद उनका पूरा परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया था। यहां वे पहले जनसंघ से जुड़े, फिर जनता पार्टी में दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ काम किया।  आपातकाल के बाद भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य बनने के बाद सन 1988 में वे पहली बार भारत के गृह मंत्री बने थे। जून 2002 से मई 2004 तक अटल बिहार वाजपेयी की सरकार के दौरान वे देश के उप प्रधानमंत्री भी रहे।लालकृष्‍ण आडवाणी 5 बार लोकसभा और 4 बार राज्‍यसभा से सांसद रहे हैं। वे 3 बार भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष भी रहे चुके हैं ,उन्हें देश के सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान ‘भारत रत्‍न’  से सम्‍मानित करने का ऐलान किया गया है,यह सम्मान कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और खेल के क्षेत्र में देश के लिए असाधारण योगदान देने वाले लोगों को दिया जाता है।मुझे लाल कृष्ण आडवाणी से मिलने का किस्सा याद आ रहा है।मैं जब सन 1986 के बाद से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय था,तब कार सेवा के दौरान कार सेवा के नायक लाल कृष्ण आडवाणी व मदन लाल खुराना  के साक्षात्कार किए थे। यह नवंबर सन 1993 की बात है।उन दिनों भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी हुआ करते थे।जो राम जन्मभूमि मंदिर के लिए निकाली गई रथ यात्रा के भी नायक थे।उनकी यात्रा दिल्ली से मेरठ,मुजफ्फरनगर होते हुए हरिद्वार पहुंचनी थी।उनकी इस यात्रा पर एक इंटरव्यू करने के लिए मैंने उनके निजी सचिव दीपक चौपड़ा से सम्पर्क किया तो आडवाणी जी से इंटरव्यू  का समय  उनकी ही गाड़ी लेने के लिए तय हो गया।
जैसे ही उनकी यात्रा मुजफ्फरनगर से नारसन पहुंची तो मुझे आडवाणी के साथ उनके पीछे चल रही मिनी बस नुमा गाड़ी में बैठने के लिए कहा गया ,नारसन में कार्यकर्ताओं से स्वागत कराकर आडवाणी जी भी उसी गाड़ी में आ गए और गाड़ी के चलते ही इंटरव्यू का सिलसिला भी शुरू हो गया।उन दिनों पांच राज्यो में विधानसभा चुनाव का प्रचार भी चल रहा था।इसलिए मैंने पहला सवाल दागा, आखिर कब तक आप अयोध्या मुद्दे पर ही वोट मांगते रहेंगे?आडवाणी जी ने जवाब दिया जब तक राम मंदिर अयोध्या के गर्भ ग्रह पर नही बन जाता।मैंने कहा,6 दिसम्बर का अयोध्या कांड कराने की क्या आपकी पहले से कोई योजना थी?उत्तर था,नही ,हमारी योजना इस प्रकार की नही थी,हम कानून के द्वारा विवादित ढांचा हटवाना चाहते थे परंतु यदि वह ध्वस्त हो गया तो कोई अनर्थ भी नही हुआ, बल्कि लोग खुश हुए।क्या विवादित ढांचे के ध्वस्त होने पर लोगो की तरह आप भी खुश हुए?आडवाणी तपाक से बोले,मैं क्या लोगो से बाहर हूं।मैंने सवाल बदला उत्तर प्रदेश में कितनी सीटे मिल जाएगी?वे बोले,बहुमत मिलेगा।मैंने कहा, नही मिला तब?इस पर उन्होंने सफाई दी कि “आप औऱ हम इस गाड़ी से हरिद्वार जा रहे है,यदि रास्ते मे एक्सीडेंट हो गया तब?(हंसने लगे)मैंने सवाल की दिशा बदली,आपकी पार्टी में भी अंतर्कलह के स्वर उभर रहे है?वे बोले,एक बड़े संगठन में चार लोगों के बीच कुछ मतभेद हो सकते है।प्रतिद्वन्वता किसके साथ है,बोले कही कांग्रेस तो कही जनता दल।क्या आप कभी शाही इमाम से मिले है?उत्तर था,व्यक्तिगत तौर पर कभी नही,एक बार उन्हें कार्यक्रम में देखा था।मैंने पूछा, क्या आप मुसलमानों को अपनी तरफ झुका पाए?इस पर आडवाणी जी ने कहा कि ज्यादा नही,यदि उत्तर प्रदेश में कल्याण सरकार पूरे पांच वर्ष चलती तो मुसलमान हमारे साथ होते ।मैंने पूछा, इस बार चुनाव में आपके पास कोई मुद्दा नही है?वे बोले,इशूज न हो, मैं नही मानता।हिमाचल, मध्यप्रदेश, राजस्थान में भाजपा सरकारों की उपलब्धियां ,कल्याण सरकार के समय कोई दंगा न होना ,शिक्षा में महत्वपूर्ण परिवर्तन आदि,मंदिर निर्माण से अलग इशूज है।मैंने कहा,राम लहर इस बार नही है,आपका क्या कहना है?वे बोले,आज राम लहर है जबकि विगत चुनाव में नही थी।मैं 33 प्रतिशत वोट प्राप्त करने को राम लहर नही मानता।तो क्या राम लहर से आपकी नैय्या पार हो जाएगी?उत्तर मिला, क्यो नही,हर्षद कांड,भ्र्ष्टाचार और कांग्रेस सरकार के अन्य कई घोटालों के नाम पर इतनी भीड़ इक्कठी नही होती जितनी राम के नाम पर होती है।कश्मीर के बारे में क्या खयाल है?आडवाणी ने कहा कि कश्मीर को संविधान का हिस्सा बनने का अवसर ही नही दिया गया और कश्मीर गलत हाथो में चला गया ।वहां की समस्या भ्र्ष्टाचार व अनफेयर सलेक्शन है।
इससे पूर्व कार सेवा के दौरान कार सेवको को जगह जगह गिरफ्तार किया जा रहा था।बड़े नेताओं में अटल बिहारी वाजपेयी को गिरफ्तारी के बाद सरसावा शुगर मिल के गेस्ट हाऊस में रखा गया था तो दिल्ली के नेता मदन लाल खुराना देवबंद की नई बनी जेल में बंद थे।खैर ,देर से ही सही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राजनीतिक गुरु आडवाणी जी को भारत रत्न देंकर गुरु दक्षिणा का भार उतार दिया है।उन्हें यानि आडवाणी को बधाई।
(लेखक राजनीतिक चिंतक व वरिष्ठ पत्रकार है)       

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